नई दिल्ली। मच्छरजनित रोग परजीवी संक्रमण यानी लिंफेटिक फाइलेरिसिस अक्सर पांच साल से कम उम्र में बच्चों को अपनी चपेट में ले लेता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने ‘2021 तक लिंफेटिक फाइलेरिसिस उन्मूलन के लिए तत्काल कार्रवाई’ पर हस्ताक्षर करने के बाद कहा कि स्वास्थ्य साझेदारों एवं हितधारकों को इस बीमारी से निपटने के लिए एक-दूसरे के साथ सक्रियता से काम करना होगा। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी) के निदेशक नीरज ढींगरा ने कहा कि तीन दवा वाली थैरेपी के प्रयोग को इस बीमारी का ‘अत्यंत बोझ’ झेल रहे पांच राज्यों-उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र के 16 जिलों में बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि बीमारी के उन्मूलन को तेज करने की दृष्टि से यह किया जा रहा है। उपचार की इस पद्धति में तीन दवाओं – आइवरमेक्टिन, डायइथाइलकार्बमजीन सिट्रेट और अल्बेंडजोल का प्रयोग किया जाता है। अत्यंत बोझ वाले राज्यों समेत 10 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश नवंबर में शुरू हो रहे बड़े पैमाने पर दवा देने के इस अभियान को लागू करेंगे। ढींगरा ने कहा कि इस अभियान से करीब 1.06 करोड़ लोगों को लाभ पहुंचेगा। लिंफेटिक फाइलेरिसिस में परजीवी, फाइलेरी कहे जाने वाला धागानुमा कीड़ा होता है जो लसिका तंत्र एवं उससे जुड़े उत्तकों को नुकसान पहुंचाता है। मंत्री ने हाथीपांव रोग उन्मूलन के लक्ष्य को अगले दो वर्षों में हासिल करने के लिए उचित योजना बनाना, प्रतिबद्धता एवं समाज की सहभागिता की भी अपील की।