बायो इक्वालेंस परीक्षण किया अनिवार्य, 60 हजार से ज्यादा दवाओं की जांची जाएगी गुणवत्ता
नई दिल्ली। जेनेरिक दवाओं को अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतरना होगा। उन्हें साबित करना होगा कि वे ब्रांडेड दवाओं से गुणवत्ता में कम नहीं हैं। इसके लिए बायो इक्वालेंस परीक्षण जरूरी कर दिया गया है। ड्रग कंट्रोलर जनरल डॉ. जीएन सिंह का कहना है कि बाजार में पहले से मौजूद जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता भी जांची जाएगी। उन्होंने बताया कि देश में जेनेरिक दवाओं के 60 हजार से अधिक फॉर्मूले हैं और करीब 20 हजार छोटी-बड़ी पंजीकृत इकाइयां हैं। दवा कंपनियों को चार साल के अंदर अधिकृत प्रयोगशाला में बायो इक्वालेंस टेस्ट कराना होगा। टेस्ट में फेल होने पर उस कंपनी को दवा बनाने की अनुमति नहीं मिलेगी।