भोपाल (मप्र)। एचआईवी से पीडि़त लोगों के लिए राहत भरी खबर है। अब उन्हें एचआईवी की दवा का सेवन छह माह तक नहीं करना पड़ेगा। दरअसल, केंद्र सरकार एचआईवी संक्रमित मरीजों के लिए नई दवा लांच करने जा रही है। यह दवा छह माह के बजाए चार माह में ही असर दिखाने लगेगी। नेशनल एड्स कंट्रोल प्रोग्राम के तहत संभवत: फरवरी या मार्च में ‘अल्टेगाविर’ दवा मरीजों के लिए अनिवार्य की जाएगी। इससे फायदा यह होगा कि नियमित रूप से चार माह तक दवा लेने के बाद ही वायरस का सप्रेशन (वायरस का नियंत्रण) हो जाएगा। एड्स के मरीजों को अभी जो दवा दी जा रही है, वह छह महीने तक लेना अनिवार्य है। नई दवा चार महीने में ही असर दिखाना शुरू कर देगी। मप्र नाको द्वारा प्रदेश के 18 शहरों में एंटी-रेट्रोवायरल थैरेपी (एआरटी) सेंटर चलाए जा रहे हैं। वर्ष 2020 में देवास, बैतूल, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, भिंड, मुरैना में भी नए केंद्र शुरू किए जाएंगे।
गौरतलब है कि कई बार किसी व्यक्ति में एचआईवी संक्रमण का पता आठ से दस साल में लगता है। इसकी वजह यह है कि वह दिखता स्वस्थ्य है। कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। इसलिए जब तक व्यक्ति खून की जांच नहीं करवाएगा, तब तक उसे बीमारी के बारे में पता नहीं चलता है। एक बार संक्रमण होने के बाद ताउम्र दवा खाना पड़ती है। यह नई दवा चार महीने में ही वायरस को दबाकर नियंत्रित कर सकेगी। प्रदेश में अब तक 64 हजार 987 एचआईवी संक्रमित मरीज सामने आ चुके हैं। वर्ष 2018 में 5286 मरीज मिले थे। वर्ष 2019 में अब तक 4968 मरीज मिले हैं। डॉ. वीपी पांडे ने बताया बताया कि आज भी 30 से 40 फीसदी मरीज निजी अस्पतालों में ही इलाज करवाते हैं। इंदौर में पांच साल में 3348 मरीज मिले। मप्र एड्स कंट्रोल सोसायटी के रिकॉर्ड के मुताबिक मप्र में कुल एचआईवी संक्रमित मरीजों में 39 फीसदी महिलाएं और 69 फीसदी पुरुष हैं। सबसे ज्यादा एचआईवी के मामले मालवा-निमाड़ क्षेत्र से ही पंजीबद्ध हो रहे हैं।