मीरजापुर (उत्तर प्रदेश)। अवैध रूप से दवाइयां बेचने वालों की अब मनमानी नहीं चल सकेगी। उन्हें बिना लाइसेंस के दवाओं की बिक्री करना भारी पड़ सकता है। खाद्य सुरक्षा व औषधि विभाग ने इस पर अंकुश लगाने की कवायद शुरू कर दी है। सहायक आयुक्त औषधि अतुल उपाध्याय ने विध्यांचल मंडल के जनपद मीरजापुर, सोनभद्र व भदोही में विशेष अभियान भी शुरू कर दिया है। बता दें कि जनपद में खासकर ग्रामीण इलाकों में मानकों की अनदेखी कर बिना लाइसेंस की दवाओं की बिक्री का कारोबार चल रहा है। इससे दवाओं की कालाबाजारी करने वालों की पौ-बारह है। लोगों को मानक के अनुसार दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी खाद्य सुरक्षा व औषधि विभाग की होती है। विभाग से लाइसेंस प्राप्त दुकानदार ही फार्मासिस्ट के जरिए दवाओं की बिक्री कर सकता है। वर्तमान में सरकार द्वारा यह व्यवस्था की गई है कि फार्मासिस्ट एक से अधिक दुकानों या किसी अन्य संस्थान में एक समय पर एक साथ काम नहीं कर सकेंगे। फार्मासिस्ट की 24 घंटे फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया (पीसीआई) की निगरानी भी की जा रही है। पीसीआई द्वारा रजिस्ट्रेशन एंड ट्रैकिंग सिस्टम (पीआरटीएस) नामक नेशनल डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग किया जा रहा है, जो पीआरटीएस के माध्यम से पीसीआई फार्मासिस्टों को आसानी से ट्रैक कर रही है। बावजूद इसके गांवों में बिना लाइसेंस दवाओं की बिक्री की शिकायतें मिल रही हैं। ड्रग इंस्पेक्टर संदीप कुमार के अनुसार जनपद में लगभग 800 पंजीकृत दवा दुकानें हैं। विध्यांचल मंडल के सहायक आयुक्त औषधि अतुल उपाध्याय का कहना है कि बिना लाइसेंस दवा बेचने वालों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है। शिकायत मिलने पर छापेमारी भी की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।