आमतौर पर माना जाता है कि डायबीटीज और जॉइंट पेन की समस्या का आपस में कोई कनेक्शन नहीं है। जबकि अगर डायबीटीज जरूरत से अधिक बढ़ जाए तो मसल्स और जॉइंट पेन के साथ ही कई दूसरे हेल्थ ईश्यूज की वजह भी बन सकती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, डायबीटीज के कारण मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम में समस्याएं होती हैं, जो हमारी मांसपेशियों, हड्डियों, जोड़ों, लिगामेंट्स पर बुरा असर डालती हैं। इस कारण हमारे बॉडी मूवमेंट पर बुरा असर पड़ता है क्योंकि हमारी मसल्स की लचक कम होने से ये सख्त हो जाती हैं। यहीं से बॉडी पेन, जॉइंट पेन, जॉइंट स्वेलिंग की दिक्कत होती है। हाथ और पैर में गैर जरूरी सेंसेशन फील होना या पेन होना भी डायबीटीज के लक्षणों में गिना जाता है।

इस तरह का जॉइं पेन होता है डायबीटीज के कई रोगियों में हाथ की मसल्स से जुड़ी दिक्कतें, जैसे कार्पल टनल सिंड्रोम या दर्द से पीड़ा हो सकती है। हाथ का सुन्न हो जाना, हाथ और उंगलियों में चुभन होना जैसी दिक्कतें स्मॉल ब्लड वेसल्स की वजह से होती हैं।

होती हैं इस तरह की समस्याएं
– डायबीटीज के मरीजों में आमतौर पर जो समस्याएं देखने को मिलती हैं, उनमें हाथ की उंगलियों का हथेलियों की तरफ मुड़ जाना, उंगलियों में सूजन और दर्द होने जैसी समस्या हो सकती है।

– डायबीटिक हैंड सिंड्रोम भी मधुमेह के रोगियों में पाई जानेवाली आम समस्या है। यह एक तरह का सिंड्रोम है, जिसमें हाथ की त्वचा कठोर और वैक्सी हो जाती है, इससे हाथ और फिंगर्स के मूवमेंट में परेशानी होती है।

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जोड़ों का दर्द और डायबीटीज

– कंधों में जमाव या जकड़न महसूस होना भी डायबीटीज के मरीजों में पाया जानेवाला एक आम लक्षण है। इस बीमारी को फ्रोजन शोल्डर की दिक्कत के नाम से जाना जाता है। इस दौरान पेशेंट को दर्द इतना अधिक होता है कि उसके हैंड मूवमेंट पर नकारात्मक असर पड़ने लगता है।

– चारकोट जॉइंट की समस्या को न्यूरोपैथिक जॉइंट के रूप में भी जाना जाता है। यह समस्या तब अधिक होती है जब नर्व डैमेज हो जाती हैं और लिगामेंट बिगड़ जाता है। इस दौरान जोड़ों में सुन्नता और झुनझुनी या सनसनी होती है, जो मुख्य रूप से पैरों को प्रभावित करती है।

जोड़ों के दर्द में देखभाल
अगर आपको जॉइंट पेन से जुड़ी दिक्कत हो रही है तो वक्त रहते ही अपने डॉक्टर से संपर्क करें और उनकी बताई हुई दवाइयों और एक्सर्साइज को फॉलो करें। इस सबसे साथ हेल्दी डायट और रुटीन लाइफ फॉलो करना भी मददगार साबित हो सकता है।

– वजन को नियंत्रित रखने की कोशिश करें। तेजी से वजन का घटना या बढ़ना दोनों ही हार्मफुल होते हैं। बीमारी का अगर शुरुआती स्तर पर ही पता चल जाए तो इससे निजात पाना आसान होता है। इससे जॉइंट प्रॉब्लम की समस्या का भी समाधान होता है।