क्या आप भी गर्दन, पीठ, कमर, घुटनों या पैरों के दर्द से परेशान हैं? अगर हां तो फिर सावधान हो जाएं, कहीं इनका कारण आपका खराब बॉडी पॉस्चर न हो। स्वस्थ रहने के लिए कैसा होना चाहिए आपका बॉडी पॉस्चर, इसकी जानकारी दे रही हैं इंद्रेशा समीर

बॉडी पॉस्चर या कहें अलग-अलग गतिविधियों के लिए अपनाई जाने वाली शारीरिक मुद्राएं अगर सही न हों तो सामान्य परेशानियों से लेकर गंभीर किस्म की बीमारियों तक को न्योता दे सकती हैं। रिसर्च तो यहां तक कहती है कि एक पॉस्चर में लंबे समय तक बैठे रहना धूम्रपान से कम खतरनाक नहीं है।

सोने का सही सलीका

’सोने जाएं तो ध्यान रखें कि आपका सिर उत्तर की ओर नहीं होना चाहिए। पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर चुंबकीय ऊर्जा का निरंतर संचार होता रहता है। उत्तर की ओर सिर होने से शरीर में चुंबकीय ऊर्जा का प्रवेश उल्टी दिशा से होता है, जो सेहत के लिए नुकसानदेह है।
’स्वास्थ्य की सामान्य स्थिति हो तो सीधे पीठ के बल लेटकर सोना अच्छा है। तकिया ज्यादा ऊंचा न हो और सिर तकिये के बीच में हो। इस पॉस्चर में सिर, गर्दन, कमर, पेट, पीठ आदि सामान्य अवस्था में रहते हैं और नींद अच्छी आती है। सिरदर्द के लिए भी यह फायदेमंद है। जिन्हें स्लीप एप्निया नामक बीमारी होती है, उन्हें इस पॉस्चर में सोने की सलाह नहीं दी जाती।

’बायीं ओर करवट करके सोना अच्छा समझा जाता है। डॉक्टर भी यह सलाह देते हैं। इस तरह सोने से एसिडिटी की समस्या पनपने का खतरा कम होता है। पाचन में आसानी होती है। डॉक्टरों के मुताबिक बायीं करवट में पैंक्रियाज वगैरह की स्थिति ऐसी बनती है कि वे बेहतर ढंग से काम कर पाते हैं। हालांकि गर्दन में दर्द हो तो इस पॉस्चर में सावधान रहना जरूरी है।
’कुछ लोगों की आदत पेट के बल सोने की होती है, पर इससे पेट और फेफड़े पर अनावश्यक दबाव पड़ता है। गर्दन पर भी दबाव पड़ता है। रीढ़ की हड्डी के लिए यह नुकसानदेह है। हां, खर्राटे भरने वालों के लिए यह पॉस्चर फायदेमंद है।
’महिलाएं पीरियड के दर्द से पीड़ित हों तो पीठ के बल सीधे लेटकर सोएं और दोनों घुटनों के नीचे एक तकिया रखें। ध्यान रहे कि रीढ़ झुकी नहीं होनी चाहिए।

कार्यालय की कुर्सी पर

सिडनी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ स्टडी का निष्कर्ष है कि पीठ के निचले हिस्से में दर्द एक आम समस्या बन चुकी है। इसकी बड़ी वजह कुर्सी पर बैठने का गलत तरीका है।
हर घंटे-डेढ़ घंटे में पांच-दस मिनट के लिए कुर्सी से उठें और चहलकदमी करें।
घंटे-दो घंटे के अंतराल पर कुर्सी पर बैठे-बैठे ही गर्दन को आराम-आराम से चारों ओर गोल-गोल घुमाएं। सर्वाइकल से बचेंगे।
कुर्सी पर बैठते हुए रीढ़ को सीधा रखें। कुर्सी ऐसी हो कि पीठ को टेक मिले। पैर घुटनों से नब्बे डिग्री के कोण पर मुड़े होने चाहिए।
पैरों को एक-दूसरे पर चढ़ाकर ज्यादा देर तक न रखें। इससे रक्त-संचार बाधित होता है।
मेज की फाइलों को आंखों से लगभग दो फुट की दूरी पर रखें।

’हर एक घंट परे दो-चार मिनट के लिए काम से निगाह हटाकर दूर हरियाली देखें।

कंप्यूटर पर काम करें तो

’कंप्यूटर पर काम करते समय पॉस्चर खराब हो तो मांसपेशियों र्में खिंचाव के अलावा स्पाइनल कॉर्ड में भी जख्म हो सकता है। पॉस्चर वही अपनाएं, जो दफ्तर के लिए बताया गया है।
’कंप्यूटर की स्क्रीन का ऊपरी सिरा आंख की सीध से पांच-सात सेंटीमीटर ऊपर रहे तो बेहतर है।
’पीठ का पॉस्चर सही बनाए रखने के लिए कीबोर्ड की दूरी डेस्क से आधे फुट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
’हर आधे घंटे के अंतराल पर आंखों को स्क्रीन से हटाकर बंद कर लें। चाहें तो दायें और बायें गोल-गोल पांच-पांच बार घुमाएं।
’माउस को ज्यादा दूर न रखें। माउस की पकड़ ऐसी बनाएं कि कोहनी के हिस्से को कुर्सी के हत्थे का टेक मिलता रहे।

पढ़ते समय ध्यान दें

’कुर्सी पर बैठकर पढ़ रहे हों तो रीढ़ और गर्दन सीधी रखें।
’किताब की दूरी आंखों से लगभग डेढ़ से दो फुट की हो तो बेहतर है।
’जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी हो तो दीवार की टेक लेकर बैठना अच्छा होगा। इससे रीढ़ सीधी रखने में मदद मिलेगी। पालथी मारकर बैठे हों तो कुछ देर बाद पैर सीधे फैला लें।
’बिस्तर पर लेटकर पढ़ने की आदत न बनाएं। लेटकर पढ़ने से किताब और आंखों के बीच एक जटिल कोण बनता है और आंखों पर दबाव पड़ने लगता है।
’हर आधे-एक घंटे के अंतराल पर किताब से निगाह हटाएं और दूर हरियाली आदि देखें।
’झुककर न पढ़ें। रीढ़ में समस्याएं पैदा हो सकती हैं। ज्यादा झुकने से आत्मविश्वास पर भी असर पड़ता है। सेन फ्रांसिस्को विश्वविद्यालय में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि गणित जैसे विषयों में जो बच्चे घबराहट के शिकार थे, उन्हें जब झुककर बैठने के बजाय पीठ सीधी रखकर सवाल हल करने को कहा गया तो लगभग 56 प्रतिशत विद्यार्थियों ने बेहतर परिणाम दिए।

ऐसे सुधारें पॉस्चर 

’शरीर के हर तरह के पॉस्चर को सही रखने के लिए नियमित योगासन करना बेहतर उपाय है। इससे शरीर की मांसपेशियां लचीली रहती हैं, रीढ़ की हड्ड़ी सीधी और स्वस्थ बनती है।
’खड़े होते हुए ध्यान रखें कि रीढ़ सीधी रहे। खड़े होते हुए जेब में हाथ न डाले रहें।
’जब भी कहीं बैठें, तो आराम की स्थिति में 135 डिग्री के कोण पर बैठने का अभ्यास करें।
’चलते समय सही ढंग से सांस लेने पर ध्यान दें। इससे पॉस्चर की गड़बड़ी दूर होती है।
’रसोई में काम करते हुए महिलाओं को बार-बार आगे झुकना पड़ता है। इसलिए वे बीच-बीच में शरीर को पीछे की ओर भी खींचें।

जीभ का पॉस्चर कैसा हो?
यह सुनने में अजीब लगेगा, पर सच्चाई यह है कि जीभ यानी जुबान का भी पॉस्चर खराब हो सकता है। डॉक्टरों के अनुसार जीभ जब तालू से सटी होती है तो यह जीभ का सही पॉस्चर है। सही पॉस्चर का अर्थ है कि मुंह के ऊपरी हिस्से में कोई दबाव नहीं महसूस होना चाहिए। ऊपरी और नीचे के दांतों के बीच कुछ गैप होना चाहिए। जीभ दांतों के बीच में दबाव डालने लगे तो इससे दांतों के एलाइनमेंट में समस्या पैदा हो सकती है। अध्ययनों का निष्कर्ष है कि जीभ के सही पॉस्चर से स्लीप एप्निया से पीड़ित बच्चों में नाक की परेशानियां कम होने लगती हैं। जीभ का गलत पॉस्चर जबड़ों के आकार को भी बिगाड़ता है। जीभ के पॉस्चर की गड़बड़ी से बोलने में तुतलाहट, खर्राटे की आदत, दांतों का घिसना, टंग-थ्रस्ट तथा मुंह से सांस लेने जैसी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
’मुंह को ज्यादा समय तक खुला न रखें।
’जीभ की नोक को तालू पर आगे के दांतों की जड़ के पास लगाने का अभ्यास करें।
’दांतों को अधिक समय तक भींच कर न रखें।
’शीतली और शीतकारी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करें।

इन अध्ययनों पर गौर करें

स्कूली बच्चों के पॉस्चर में गड़बड़ी

एक अध्ययन के अनुसार, ग्रामीण इलाकों के 50 प्रतिशत से ज्यादा स्कूली बच्चों के उठने-बैठने, पढ़ने-लिखने के पॉस्चर में गड़बड़ी है, जिसकी वजह से उन्हें कई तरह की शारीरिक परेशानियों से जूझना पड़ता है। एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि हर दस में दो बच्चों में पॉस्चर संबंधी विकार था, तो करीब 30 प्रतिशत बच्चों में पॉस्चर संबंधी किसी भी तरह की जागरूकता का अभाव था। अध्ययनों के अनुसार, जब बच्चे स्कूल जाना शुरू करते हैं तो उनकी शारीरिक गतिविधियों में आई कमी, कंप्यूटर के ज्यादा इस्तेमाल, देर तक एक ही स्थिति में बैठे रहने तथा गलत ढंग से स्कूल बैग उठाने जैसे कारणों से उन्हें पीठ, कमर, गर्दन, पैर आदि अंगों में अकसर दर्द की शिकायत होने लगती है। पॉस्चर में गड़बड़ी बच्चों के आत्मविश्वास पर भी असर डालती है। लंदन में हुए एक अध्ययन का निष्कर्ष है कि बच्चों के स्कूल बैग का वजन उनके शरीर के वजन के 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

पॉस्चर और मूड में है गहरा संबंध

यूरोपियन जर्नल ऑफ सोशल साइकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार पॉस्चर और मूड में गहरा संबंध है। जो लोग रीढ़ सीधी करके बैठे, उनका रवैया आत्मविश्वासपूर्ण था, जबकि जिन लोगों की आदत झुके रहने की थी, उनमें असहाय, शक्तिहीन और दुखी होने की मन:स्थिति ज्यादा थी। शोध के अनुसार, हमारे उठने-बैठने, चलने-फिरने, स्मार्ट फोन देखने या कंप्यूटर स्क्रीन देखने के दौरान झुके रहने की प्रवृत्तियों के चलते हाल के समय में अवसाद की स्थितियां बढ़ रही हैं। एक अन्य अध्ययन का निष्कर्ष है कि खुशी, कामयाबी, आत्मविश्वास, आशावाद की भावनाएं पॉस्चर के सही या गलत होने से काफी हद तक जुड़ी होती हैं।

सीधी मुद्रा का बेहतर नतीजा
वर्ॉंशगटन स्टेट यूनिवर्सिटी अमेरिका में सन 2016 में हुए एक शोध का निष्कर्ष है कि सीधी मुद्रा में रहने से शरीर की संज्ञानात्मक गतिविधियों पर अच्छा असर पड़ता है। शोध के अनुसार, बढ़ती उम्र के साथ शारीरिक गतिशीलता में कमी और पॉस्चर में गड़बड़ी से जीवन की संपूर्ण गुणवत्ता पर असर पड़ता है। बढ़ी हुई उम्र के साथ यदि सीधी मुद्रा में रहने के बजाय गर्दन और सिर आगे की ओर झुकाकर रहने की प्रवृत्ति दिखाई दे रही है, तो इसका अर्थ है कि शरीर की संज्ञानात्मक क्षमता में भी कमी हो रही है। गुरुत्वाकर्षण के विपरीत गर्दन और सिर को सीधा रखने की आदत बनाने से स्मरण शक्ति पर भी सकारात्मक असर देखा गया।

सिर झुकाए रखने की आदत खराब 

जर्नल ऑफ फिजिकल थेरेपी साइंस की एक रिपोर्ट (2016) दावा करती है कि सिर को आगे की ओर झुकाए रखने की आदत जीवनी शक्ति को कमजोर करती है तथा श्वसन तंत्र को बीमार बनाती है। रिपोर्ट के अनुसार, रीढ़ और वक्षस्थल का सही पॉस्चर श्वसन क्रिया को सुचारु बनाए रखने के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है। बायोमेड रिसर्च इंटरनेशनल की हालिया रिपोर्ट का नतीजा है कि गर्दन और सिर के पोस्चर में गलत ढंग का बदलाव श्वसन प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।