नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में कोरोनावायरस की वैक्सीन के विकास, जांच और टेस्टिंग को लेकर मौजूदा स्थिति का जायजा लिया और चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि नई दवाओं और टीकों के लिए भारत की नियामक प्रणाली अजीब और बोझिल है। इसमें बदलाव की जरूरत है। पीएम मोदी ने बैठक में शामिल शीर्ष आधिकारियों से इसमें बदलाव करने के लिए कहा है। बैठक में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि इसका मतलब है कि हमें नियामक प्रणाली को सुधारने की जरूरत है। अधिकारी ने मौजूदा नियामक ढांचे में मौजूद दिक्कतों को समझाते हुए बताया कि संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में, आपातकालीन क्लियरेंस के आधार पर मानव परीक्षण करने के प्रावधान हैं। भारत में, चूहों पर दवा का परीक्षण करने में कंपनियों को महीनों लग जाते हैं। अगर रेमडेसिवीर जैसी दवा संयुक्त राज्य अमेरिका में सफल हो जाती है, तो दवा अनुमोदन की पूरी प्रणाली कारण दवा को भारतीय रोगियों तक पहुंचने में काफी समय लगेगा।। हमें वास्तव में ड्रग कंट्रोलर के कार्यालय में अनुमोदन प्रक्रियाओं को संशोधित करने की आवश्यकता है। जब अधिकारी ने सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) की आपूर्ति के लिए भारत की एक देश पर निर्भरता के बारे में बात की, तो प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया कि कंपनियों को अन्य देशों पर भरोसा करने के बजाय विनिर्माण एपीआई पर गर्व करने की आवश्यकता है। यह गर्व की बात होनी चाहिए, न केवल कम लागत के स्तर पर। प्रधानमंत्री ने दवाओं की खोज में कंप्यूटर साइंस, केमिस्ट्री और बायोटेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों के एक साथ आने की तारीफ की। उन्होंने कहा कि लैब में दवा बनाने और टेस्टिंग पर हैकाथन का आयोजन होना चाहिए। इसके विजेता को आगे की रिसर्च के लिए स्टार्प-अप कंपनियों में मौका दिया जा सकता है।