नई दिल्ली। कोरोना वायरस महिलाओं के मुकाबले पुरुषों के लिए ज्यादा जानलेवा साबित हो रहा है। इस बारे में वैज्ञानिकों का दावा है कि पुरुषों के खून में ‘एसीई-2’ नाम का वह एंजाइम ज्यादा मात्रा में होता है, जो आसानी से वायरस का वाहक बन जाता है।
यही वजह है कि संक्रमण महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा आसानी से अपना शिकार बना लेता है। नीदरलैंड की ग्रोनिंजेन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार उन्होंने 11 यूरोपीय देशों के 3500 ऐसे मरीजों के खून में ‘एसीई-2’ का स्तर आंका, जिन्हें दिल का दौरा पड़ चुका था। चूंकि, यह अध्ययन कोरोना के पनपने से पहले शुरू हुआ था, लिहाजा इसमें संक्रमित शामिल नहीं थे। हालांकि, जब विभिन्न अध्ययन इस बात का इशारा करने लगे कि ‘एसीई-2’ मानव कोशिकाओं में कोरोना वायरस के प्रवेश का मुख्य जरिया है, तब शोधकर्ताओं ने कोविड-19 से ‘एसीई-2’ के संबंधों का विश्लेषण शुरू किया। महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में ‘एसीई-2’ कहीं अधिक मात्रा में उपलब्ध होता है। यह सार्स-कोव-2 वायरस के लिए ‘रिसेप्टर’ के तौर पर काम करता है। इसी की वजह से वायरस कोशिकाओं में प्रवेश करने और उन्हें संक्रमित बनाने में कामयाब हो पाता है। ‘एसीई-2’ पुरुषों के हृदय, किडनी और धमनियों के ईदगिर्द मौजूद ऊतकों में पाया जाता है। डायबिटीज, हृदयरोग और किडनी की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को डॉक्टर अक्सर ‘एसीई इंहिबिटर’ या ‘एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर’ सुझाते हैं। रिसर्च में इनका सेवन कर रहे मरीजों में संक्रमण का खतरा नहीं मिला है। ऐसे में मरीज वायरस की जद में आने की चिंता किए बगैर तय खुराक में दवा ले सकते हैं। ‘एसीई-2’ यानी ‘एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम-2’ कोशिकाओं की सतह पर मौजूद एक रिसेप्टर है, जो कोशिका में घुसकर उसे संक्रमित करने में सार्स-कोव-2 की मदद करता है। यह एंजाइम हृदय, किडनी सहित कई अन्य अहम अंगों में पाया जाता है।