फर्रुखाबाद। महामारी से निजात दिलाने के लिए देश भर में किए गए लॉकडाउन के बाद जिले में जीवन रक्षक औषधियों की बिक्री 40 फीसद कमी आ गई। नर्सिंग होम और सरकारी अस्पतालों में मरीजों का लगने वाला मेला अब देखने को नहीं मिल रहा है। इसी कारण दवाओं की बिक्री भी घट रही है। हालांकि सैनिटाइजर और मास्क की बिक्री में उछाल आया है। दवा व्यापारी बताते हैं कि सैनिटाइजर की बिक्री न के बराबर होती थी। वहीं अब सबसे ज्यादा डिमांड सैनिटाइजर की है। कोरोना वायरस से चारों ओर हाहाकार मचा है। इस गंभीर बीमारी को देखते हुए जिले के नर्सिंग होम और सरकारी अस्पताल की ओपीडी बंद कर दी गई। इस वजह से खांसी, जुकाम, बुखार आदि के मरीज अस्पतालों में नहीं पहुंच सके। गांव, गली-कूचों में स्थित झोलाछाप के यहां पहुंचकर मरीजों ने मजबूरी में इलाज कराया। झोलाछाप नीली-पीली गोलियां देकर इनका इलाज करते हैं। अस्पतालों में मरीजों के न पहुंचने से दवाओं की बिक्री पर खासा असर पड़ा है। अभी भी कुछ निजी अस्पतालों की ओपीडी शुरू नहीं की गई है। न ही सरकारी अस्पतालों में ओपीडी शुरू हुई है। दवा व्यापारी अजय कटियार ने बताया कि लॉकडाउन से पहले जहां 80 से 90 फीसदी दवाओं की बिक्री होती थी। वह अब 60 फीसदी ही रह गई है। न के बराबर बिकने वाले सैनिटाइजर व मास्क की डिमांड बढ़ी है। मास्क से ज्यादा मांग सैनिटाइजर की है।