भीलवाड़ा (राजस्थान)। मेडिकल स्टोर संचालक द्वारा मरीजों को एक्सपायर्ड दवाइयां बेचने का मामला सामने आया है। चिकित्सा विभाग के औषधि नियंत्रक को जांच में कई अनियमितताएं मिली हैं। जानकारी अनुसार हलेड़ ग्राम निवासी सुगना सुवालका की तबियत खराब होने पर उसने आरसी व्यास स्थित एक निजी चिकित्सालय के डॉक्टर प्रदीप अग्रवाल को दिखाया। डाक्टर ने पर्ची में दवा लिखकर उनके यहीं पर संचालित मेडिकल स्टोर से दवा लेने को कहा। मरीज ने अस्पताल में ही संचालित गोविन्दा फार्मा से दवाई खरीद ली। घर जाकर देखा तो उन दवाइयों में फरवरी माह तक की एक्सपायरी डेट की दवाई भी शामिल थी। मरीज ने इसकी शिकायत उपभोक्ता अधिकार संगठन के जिलाध्यक्ष अरविंद पोखरना व हलेड इकाई अध्यक्ष कैलाश सुवालका से की। इन्होंने दवाओं व बिल के आधार पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के जिला औषधि नियंत्रक अधिकारी को इसकी शिकायत करते हुए मानव जीवन को खतरे में डालने वाले इस अस्पताल व दवा स्टोर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। शिकायत में बताया गया कि सुगना सुवालका ने डॉक्टर अग्रवाल को गत 30 जुलाई को दिखाया था। गोविन्दा फॉर्मा ने बी फोलकीन प्लस की 30 टेबलेट के स्थान पर अलग-अलग बैंच नम्बर की कुल 26 गोलिया दी। जिसकी कीमत 195 रुपए थी। यह दवा फरवरी 2020 को ही एक्सपायरी हो गई थी। शिकायत के आधार पर ड्रग इंसपेक्टर विष्णु शर्मा ने गोविन्दा फॉर्मा की जांच की तो वहा कई तरह की अनियमितताएं सामने आई। जांच के दौरान फॉर्मासिस्ट नहीं मिला। एक्सपायरी दवा का कोई स्टॉक व रजिस्ट्रर नहीं मिला। बिल में जो बैच नम्बर की दवा लिखी गई थी, उस बैच की दवा की कुल 50 गोली आने बताया गया जो वर्ष 2019 में ही समाप्त होना बताया गया है। शर्मा ने बताया कि बिल में सबसे बड़ी गड़बड़ी यह थी की 26 गोलियों का एक ही बैच नम्बर लिखा गया था। अब जांच का विषय यह भी है कि एक्सपायरी दवा कहां से आई तथा किसी ने वापस लौटाई तो उसकी फॉर्मा पर एंट्री क्यों नहीं की गई। फॉर्मा संचालक को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। उधर, गोविन्दा फॉर्मा के संचालक अरविन्द सनाढ्य का कहना है कि दवा देने में कोई गलती नहीं की है। डाक्टर ने जो दवा लिखी वह एक्सपायरी नही दी गई है। क्योंकि दवा देने के बाद वापस डाक्टर के पास भेजी जाती है ताकी मरीज को समझाया जा सके कि कौनसी गोली कैसे लेनी है। जो आरोप लगा रहे हैं, वह गलत है।