लखनऊ। यूपी में दवा में मिलावट की अब और सटीक व ज्यादा जांच की जा सकेगी। दरअसल राज्य सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष के बजट की तैयारियां शुरू कर दी हैं। सभी विभागों से 30 नवंबर तक बजट प्रस्ताव मांगे गए हैं। विभागों से कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट के लिए प्रस्तावित की जाने वाली नई योजनाओं के मूल्यांकन के लिए ‘वैल्यू फॉर मनी’ के सिद्धांत को ध्यान में रखा जाए। वित्त विभाग की ओर से इस बारे में शुक्रवार को सभी विभागों को शासनादेश जारी कर दिया गया है। शासनादेश में कहा गया है कि प्रशासकीय विभाग नई मांगों के प्रस्ताव तैयार करने के बाद उन्हें भेज दें और आखिरी तारीख का इंतजार न करें। नई योजनाओं के संबंध में पद सृजन के स्थान पर वैकल्पिक व्यवस्था का प्रस्ताव लाने का निर्देश दिया गया है। बजट प्रस्ताव में काम के लिए संविदा पर कर्मचारी रखने की बजाय काम को ही आउटसोर्स करने की हिदायत दी गई है। बजट में टोकन प्रावधान न करने की सलाह दी गई है।
गौरतलब है कि इस योजना के तहत केंद्र सरकार ने 6.94 करोड़ रुपये दिए हैं और राज्य सरकार 4.62 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। अभी प्रदेश में अभी औषधि व खाद्य पदार्थों की एक राज्य स्तरीय प्रयोगशाला है। वहीं मेरठ, गोरखपुर, झांसी, आगरा और वाराणसी में मंडलीय प्रयोगशालाएं हैं। इन मंडलीय प्रयोगशालाओं में अभी खाद्य पदार्थों में मिलावट की ही जांच हो रही है। ऐसे में आगे औषधियों की जांच के लिए सुवधाएं बढ़ाई जा सकती हैं। यही नहीं आगे हर मंडल में एक प्रयोगशाला स्थापित करने पर जोर दिया जा रहा है। फिलहाल 11.56 करोड़ रुपये की धनराशि जारी करने का आदेश जारी कर दिया गया है।
बतादें कि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग 11.56 करोड़ रुपये खर्च कर 26 नई मशीनें खरीदेगा व प्रयोगशाला में जरूरी सुविधाएं भी बढ़ाई जाएंगी। फिलहाल मिलावटखोरों पर और शिकंजा कसा जाएगा। केंद्र सरकार की राज्य औषधि प्रणाली का सुदृढ़ीकरण योजना के तहत यह सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं।