प्रयागराज। फाफामऊ के गद्दोपुर में छापा मारकर एक फर्जी फार्मा कंपनी का भंडाफोड़ करते हुए बड़ी मात्रा में आयुर्वेदिक दवाएं बरामद की हैं। इतना ही नहीं तकरीबन 110 क्विंटल भांग और पैकेजिंग की मशीनें भी मिली हैं। पुलिस ने मौके से तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। औषधि और आबकारी विभाग ने भी जांच शुरू कर दी है। दवाओं के पास से ही यूरिया भी मिली है।दरअसल कानपुर की एक फार्मा कंपनी ‘पावर आयुर्वेदिक एवं चूर्ण कंपनी’ को पता चला था कि कंपनी के नाम पर प्रयागराज में कुछ लोग नकली दवाएं बेच रहे हैं।

आपूर्ति सिर्फ प्रयागराज में ही नहीं कई जिलों में की जा रही है। इसकी शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू की। पता चला कि गद्दोपुर में रजत फार्मा के नाम पर एक कंपनी है जो कानपुर की कंपनी के रजिस्ट्रेशन और नाम का इस्तेमाल करते हुए दवाएं बना और बेच रही हैं। तो वहीं एसपी गंगापार – धवल जायसवाल के मुताबिक छापे में पुलिस को मौके से तमाम दवाएं और भारी मात्रा में भांग मिली है। तीन लोग पकड़े गए हैं। जांच में और लोगों के नाम सामने आए हैं। कंपनी के स्टाक रजिस्टर एवं अन्य कागजात कब्जे में लेकर लिखा पढ़ी की गयी ।

बिना लाइसेंस के दवा बनाने, कापी राइट करने, कामर्शियल सिलेंडर की जगह घरेलू सिलेंडर इस्तेमाल करने, सीमा से अधिक माल रखने आदि की धाराओं में लिखापढ़ी की जा रही थी। गौरतलब है कि फाफामऊ के शराब कारोबारी कमलेश जायसवाल के पुत्र आशुतोष उर्फ प्रिंस ने गद्दोपुर में एकांत में फार्मा का काम शुरू किया था। वहां काफी समय से दूसरी कंपनी के नाम पर दवाओं को बनाया और पैकेजिंग कर बेचा जा रहा था। न सिर्फ प्रयागराज बल्कि आस पास के जिलों में भी दवाओं की आपूर्ति की जा रही थी।

कानपुर की जिस कंपनी के नाम से दवाओं को बेचा जा रहा था, उसे कोरोना काल में अचानक घाटा होने लगा। जबकि उस समय आयुर्वेदिक कंपनियों की उत्पादों की बिक्री उफान पर थी।आशुतोष और उसके पार्टनर मनोज आदि ने मिलकर कोरोना काल का फायदा उठाया और बड़ी मात्रा में इम्यूनिटी बूस्टर की दवाएं बनाई और बेचीं। इसके साथ ताकत और गैस की दवाओं का आयुर्वेद का बड़ा बाजार है। इसकी भी दवाएं बनाई जाने लगीं। एसपी गंगापार धवल जायसवाल ने बताया कि दवाओं को बेहद गंदगी में जमीन पर बनाया जा रहा था। बगल में ही यूरिया रखा हुआ था। मौके पर बड़ी संख्या में रैपर और खाली पैकेट भी मिले हैं।

ट्रेडमार्क और कापीराइट के उल्लंघन का मामला भी दर्ज किया जाएगा। पुलिस जब फर्जी फार्मा कंपनी से तकरीबन 110 क्विंटल भांग बरामद किया तो उन लोगों ने पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश की। कहा कि कमलेश जायसवाल की बाजार में सरकारी भांग की दुकान है। उस दुकान का यहां गोदाम है। पुलिस ने जब दुकान का कागज मांगा तो सरकारी भांग की दुकान के लिए सिर्फ 1250 किलो भांग गोदाम में रखने के मानक है जबकि भांग उससे 100 गुना ज्यादा मिली है। पुलिस ने मौके से शराब कारोबारी कमलेश जायसवाल के बेटे आशुतोष उर्फ प्रिंस, मम्फोर्डगंज के मनोज जायसवाल तथा कंपनी के मैनेजर सूर्य प्रकाश शुक्ल को हिरासत में ले लिया है। इस गोरखधंधे में और भी कई लोग शामिल हैं। उनके बारे में पता किया जा रहा है।

गद्दोपुर में फर्जी फार्मा कंपनी के संचालकों ने कोरोना काल का फायदा उठाने के लिए भारी मात्रा में इम्यूनिटी बूस्टर की दवाएं बनाई। इतना ही नहीं ताकत की तमाम दवाओं के साथ ही गैस की दवाइयों को भी भंडार मिला है। वहां न सिर्फ गंदगी का ढेर था बल्कि बगल में यूरिया भी रखा हुआ था। पुलिस का कहना है कि तमाम धाराओं के साथ साथ ट्रेडमार्क और कापीराइट उल्लंघन का मामला भी दर्ज किया जाएगा। आबकारी निरीक्षक कीर्ति सिंह, क्षेत्राधिकारी अमिता सिंह, सोरांव थानाध्यक्ष आशुतोष तिवारी, एसओजी प्रभारी मनोज कुमार सिंह, नवीन राय, चौकी इंचार्ज धनंजय कुमार सिंह आदि अधिकारी मौजूद थे।

दरअसल पुलिस ने गद्दोपुर में छापा मारा तो उनके होश उड़ गए। न सिर्फ नकली दवाएं बनाई जा रहीं थी बल्कि वहां 110 क्विंटल भांग भी बरामद हुआ। पैकेजिंग मशीनें और खाली रैपर भी भारी मात्रा में बरामद हुआ। दवाओं में शक्तिवर्धक दवाओं के साथ साथ गैस की बीमारी के लिए चूर्ण और इम्यूनिटी बढ़ाने की तमाम दवाएं मिली हैं। दवाओं के पास से ही यूरिया भी मिली है। सबकी जांच की जा रही है।