लखनऊ। जिले के सरकारी अस्पतालों में 26 जन औषधि केंद्र बगैर लाइसेंस के ही चल रहे हैं। जिस फर्म को दोबारा केंद्र चलाने के लिए ठेका दिया गया, उसने ड्रग विभाग से लाइसेंस ही नहीं लिया। दरअसल ड्रग इंस्पेक्टर – बृजेश ने बताया कि जन औषधि केंद्रों पर मरीजों को सामान्य दवाएं तक नहीं मिल रही थीं। केंद्रीय टीम को जांच में केंद्रों पर कई कमियां मिली थीं।
इसके बाद सभी स्टोर बंद करवा दिए गए थे। जन औषधि केंद्र चलाने के लिए विभाग से पिछली बार ड्रग लाइसेंस लिया गया था। टेंडर निरस्त होने के साथ लाइसेंस भी रद्द हो गया था। अभी नया आवेदन नहीं मिला है। बता दें कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को सस्ती व जेनेरिक दवाएं मुहैया कराने के लिए 26 जन औषधि केंद्र शुरू कराए गए थे। इन्हें चलाने के लिए शासन ने निजी फर्म को ठेका दिया था। इसके जरिये दवा की आपूर्ति के साथ अन्य अनियमितता मिलने पर एजेंसी फॉर कम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम ने बीते साल निजी फर्म से काम छीन लिया था। इससे करीब एक माह तक सभी केंद्रों पर ताला लगा रहा।
मरीजों के हित में गुहार लगाने के बाद शासन ने दोबारा उसी निजी फर्म को केंद्र चलाने का ठेका दे दिया। इससे पहले टेंडर निरस्त होने पर फर्म का पुराना ड्रग लाइसेंस निरस्त कर दिया गया था। हालांकि, दोबारा काम मिलने पर निजी फर्म ने ड्रग विभाग को लाइसेंस का आवेदन किए बिना ही सभी जन औषधि केंद्र शुरू करवा दिए हैं। इस संबंध में सांची की निदेशक संगीता सिंह का कहना है कि पुरानी फर्म को ही केंद्र दोबारा चलाने का काम सौंपा गया है। हालांकि लाइसेंस न होने की जानकारी नहीं है।