दिल्ली। देश की राजधानी में अबतक के सबसे बड़े सीरोलॉजिकल सर्वे की ताजा रिपोर्ट इस तरफ इशारा कर रही है कि दिल्ली कोरोना के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी के नजदीक पहुंच गई है। सवाल उठता है कि हर्ड इम्युनिटी है क्या….. इससे होगा क्या? दरअसल दिल्ली मेडिकल कॉउंसिल के अध्यक्ष डॉ अरुण गुप्ता ने 3 हिस्सों में हर्ड इम्नियुटी को समझाया है। सबसे पहले यह समझना बेहद जरूरी है कि हर इम्युनिटी क्या होती है।
अगर किसी आबादी की एक बड़ी जनसंख्या को किसी बीमारी के खिलाफ एंटीबॉडी बन जाए, तो ऐसे में उस बीमारी के फैलने की चेन रुक जाती है और बाकी लोग संक्रमित होने से बच जाते हैं। दरअसल हर्ड इम्युनिटी दो तरीके से हो सकती है, एक संक्रमण के प्राकृतिक फैलाव से या फिर वैक्सीनेशन से. वैज्ञानिक और डॉक्टर होने के नाते हम हमेशा यह चाहेंगे कि हर्ड इम्युनिटी वैक्सीनेशन से ही आए। अगर 60% जनसंख्या में संक्रमण के विरुद्ध एंटीबॉडी पाए जाते हैं तो ऐसी स्थिति में हम मान सकते हैं कि बाकी जनसंख्या जिनमें एंटीबॉडी नहीं बने हैं वह भी संक्रमण से सुरक्षित हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों को कोरोना वायरस से इम्युनिटी मिल गई है वह इससे बीमार तो नहीं हो सकते लेकिन वायरस फिर भी उनके शरीर में हो सकता है और वह कोरोना वायरस का कैरियर बन सकते हैं इसीलिए सभी को मास्क पहनने के अलावा संक्रमण से बचने के अन्य नियमों का पालन करना चाहिए। तो वहीं दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक 15 जनवरी से 23 जनवरी के बीच चले 5वें सीरो सर्वे में पूरी दिल्ली से 28 हजार सैम्पल लिए गए थे और इनमें से 56.13 फीसदी लोग सीरो सर्वे में पॉजिटिव पाए गए हैं।
इसका अर्थ है कि दिल्ली की 56.13% आबादी में कोरोना के खिलाफ एंटीबाडी मिली है, यानि वो जाने अनजाने में कोरोना से संक्रमित हुए और खुद ठीक भी हो गए। बता दें कि दिल्ली का 5वां सीरो सर्वे अब तक का सबसे बड़ा सीरो सर्वे है। इस सर्वे में दिल्ली के हर एक निगम वार्ड से 100 सैंपल लिए गए। दिल्ली में पहला सीरो सर्वे जून-जुलाई में कराया गया था जिसमें 21,000 सैम्पल लिए गए थे और इनमें से 23.4% लोगों में एंटीबॉडी पायी गयी थी। अगस्त में 15,000 सैम्पल में से 29.1% लोगों में एंटीबॉडी मिली थी। इसके बाद सितंबर में 17,409 सैम्पल में से 25.1% और अक्टूबर में 15,015 सैम्पल में से 25.5% लोगों में एंटीबॉडी मिली थी।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अब भी दिल्ली वालों को वैक्सीन लगवाने की जरूरत है? इस पर उन्होंने कहा वैक्सीन की बेहद जरूरी है और वैक्सीनेशन प्रोग्राम को तेज करने की जरूरत है। अगर 1 करोड़ लोगों में एंटीबॉडी मिली है तो अब भी आधी आबादी को कोरोना संक्रमण होने की आशंका है। डॉ गुप्ता ने कहा कि अबतक जितनी भी स्टडी आई है उसके मुताबिक 7 से 8 महीने तक एंटीबॉडी शरीर में बनी रहती है। लेकिन एंटी बॉडी कबतक रहेंगी ये कहना मुश्किल है।