आगरा। आगरा के आवास विकास सेक्टर-12 स्थित सत्यम प्लाजा में चल रही फर्म राजौरा डिस्ट्रीब्यूटर्स में एक्सपायर हो चुकी दवाइयों को दोबारा पैकिंग कर बेचा जा रहा था। औषधि विभाग की टीम ने फर्म पर छापा मारा तो इस काले कारनामे का खुलासा हुआ। फर्म से भारी मात्रा में दवाइयां, रैपर, पैकिंग मशीनें बरामद की गई हैं। बता दें कि एक्सपायर दवाइयों को दोबारा पैकिंग करके बेचे जाने का पता चलने पर औषधि विभाग ने इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी थी। वहां से निर्देश का इंतजार था। सोमवार सुबह कार्रवाई के लिए निर्देश मिले। इसकी तैयारी पहले से चल रही थी। आगरा, अलीगढ़, मेरठ और मुरादाबाद मंडल के आठ औषधि निरीक्षक छापे में लगे। सबसे पहले आगरा में सत्यम प्लाजा में छापा लगा। इसके बाद राजौरा बंधुओं के आवास पर। फिर दवाओं की अन्य फर्मों पर टीमें पहुंच गई।

दरअसल गोदाम में दवाइयों का भंडारण किया गया था लेकिन इसका कोई लाइसेंस नहीं था। यहां पूरा गिरोह काम कर रहा था। हर सदस्य को अलग जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कोई पैकिंग करता था तो कोई मोहर लगाता था। कोई ऑर्डर लाता था तो कोई कच्चा माल खरीदता था। साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। सभी को आरोपी बनाया जाएगा। करीब छह महीने पहले पंजाब पुलिस ने नशे की दवाइयों की तस्करी करने वाले आगरा गैंग का खुलासा किया था। इसे कमला नगर निवासी अरोड़ा बंधू चला रहे थे। इस गिरोह की जांच आगे बढ़ते हुए राजौरा बंधुओं तक पहुंच गई है। साथ ही खुलासा हुआ है कि दवाइयों की तस्करी और नकली दवाइयां बनाने में सिर्फ आगरा गैंग ही नहीं लगा है। अब राजौरा गैंग सामने आया है। इससे पहले पंकज गुप्ता गिरोह, जयपुरिया गिरोह का खुलासा हो चुका है। इसके बाद और भी गिरोह का खुलासा हो सकता है। औषधि निरीक्षकों ने बताया कि आगरा गैंग की जांच के दौरान ही राजौरा बंधुओं की फर्म की जानकारी मिली। इसका रिकॉर्ड देखा गया तो मामला बड़ा लगा। जांच के दौरान पता चला कि फर्म का असली काम एक्सपायर दवाइयों को फिर से पैक करके बेचने का है।

गौरतलब है कि फर्म मालिक दोनों भाई प्रदीप राजौरा और धीरज राजौरा को हिरासत में ले लिया गया है। राजौरा बंधुओं की फर्म से दवाइयों को अनार की पेटियों में पैक करके भेजा जा रहा था। पैकिंग मशीन के साथ ही यहां पर अनार, आम की खाली पेटियां मिली हैं।पुलिस फोर्स के साथ औषधि विभाग की टीम पहुंची तो दवाइयों की री-पैकिंग होती मिली। पेट और न्यूरो संबंधी दवाइयां बोरियों में भरी हुई थीं। खुले कार्टन में नशे में इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयां थी। सबसे ज्यादा कार्टन मधुमेह की दवाइयों के थे। बरामद दवाइयों की गिनती की जा रही है। इनकी कीमत का अभी आकलन नहीं हो पाया है। राजौरा बंधुओं की कोठी बोदला में है। सत्यम प्लाजा में ही फर्म के ऊपर की तीसरी मंजिल में राजौरा बंधुओं का ऑफिस है। औषधि निरीक्षक नरेश मोहन ने बताया कि एक्सपायर हो चुकी दवाइयों को किलो के हिसाब से खरीदा जाता था। फर्म में तौल मशीन भी मिली है। यहां टेबलेट और कैप्सूल को नए रैपर में पैक किया जाता था। एक्सपायर हो चुकी दवाइयां बेहद कम दाम पर मिल जाती थीं। इन्हें दवाइयों के असली मूल्य पर बेचा जाता था।