लखनऊ। केजीएमयू के आधुनिक मेडिसिन संस्थान में एलौपैथ के डॉक्टर भी अब आयुर्वेदिक दवाओं से मरीजों का इलाज कर रहे हैं। प्री कैंसर से लेकर जबड़े की हड्डी को जोड़ने तक में आयुर्वेद का सहारा लिया जा रहा है। विभाग के डॉ. यूएस पाल ने बताया कि प्री कैंसर में ही आयुष विभाग से मिले एक प्रॉजेक्ट पर भी काम हो रहा है। इसमें मरीजों को दवा के साथ घी, हल्दी, एसटी मधु समेत अन्य आयुर्वेदिक दवा दे रहे हैं।

इसमें लगाने के लिए पेस्ट के साथ ही जड़ी-बूटियों को उबालकर पानी मुंह में भरना होता है। डॉ. विभा सिंह के अनुसार जबड़े की हड्डी टूटने पर तार बांधकर 6 से 8 महीने का प्लास्टर भी लगाते हैं। वहीं अब आयुर्वेदिक दवा भी दे रहे हैं। इससे हड्डी 4 सप्ताह में जुड़ रही है। केजीएमयू के ओरल ऐंड मैक्सिलोफेशियल विभाग की डॉ. विभा सिंह के अनुसार, ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस यानी मुंह के कैंसर से पहले के लक्षण आने लगते हैं। इसमें मसालेदार चीजे मुंह में लगना, जलन, सफेदी और आवाज में बदलाव व मुंह कम खुलना शामिल हैं। उक्त सभी प्री कैंसर के लक्षण हैं।

अब तक ऐसे मरीजों को दवाएं देते थे। वहीं, अब तुलसी, गोरखमुंडी और शहद से बनी एक दवा भी दे रहे हैं। एनबीआरआई के सहयोग से दी जाने वाली दवा के नतीजे काफी बेहतर आ रहे हैं। दरअसल दावा है कि एलोपैथ से ज्यादा अच्छे परिणाम आयुर्वेद की दवाओं से मिल रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि आयुर्वेदिक दवाएं मरीजों के लिए आयुष विभाग नि:शुल्क दवाएं उपलब्ध करवा रहा है। देश में आयुर्वेद के डॉक्टरों को ऑपरेशन का अधिकार देने के विरोध के बीच आयुर्वेद की सफलता चिकित्सा क्षेत्र में बेहतर खबर साबित हो रही है।