टोरंटो। कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं लें रहा है। एक लहर जाती है तो दूसरी की चिंता सताने लगती है। बताना लाजमी है कि कोरोना की दूसरी लहर ने दुनिया भर में अपना आतंक मचा दिया था। और अब तीसरी लहर की चिंता सबको सता रही है। जिससे निपटने के लिए लगातार प्रभावी दवाओं की तलाश किया जा रहा है। मौजूदा दवाओं में भी संभावनाएं खोजी जा रही हैं। इसी कवायद में शोधकर्ताओं को डिप्रेशन यानी अवसाद रोधी एक आम दवा में उम्मीद की किरण दिखी है, जो कोरोना संक्रमण से मुकाबले में काम आ सकती है। अध्ययन में दावा किया गया है कि फ्लूक्सोमाइन नामक दवा के इस्तेमाल से कोरोना संक्रमण पर जल्दी काबू पाया जा सकता है।

इससे रोगी को अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल सकती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन के नतीजों से कोरोना के इलाज को लेकर नजरिया बदल सकता है। यह दवा किफायती होने के साथ ही दुनियाभर में उपलब्ध है। अध्ययन से जुड़े और कनाडा की मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एडवर्ड मिल्स ने कहा, ‘फिलहाल कोरोना के उपचार को लेकर सीमित विकल्प हैं। ऐसे में यह अध्ययन उत्साहजनक है। इस दवा से कोरोना के हर उपचार की लागत महज चार डालर (करीब 300 रुपये) आती है। यह दवा कोरोना से मुकाबले में अहम साबित हो सकती है।’

यह अध्ययन अमेरिका, कनाडा और ब्राजील के शोधकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने किया है। अध्ययन में शामिल किए गए 1,472 मरीजों में से कुछ को फ्लूक्सोमाइन दवा दी गई। इन प्रतिभागियों में 50 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले लोग या ऐसे पीडि़त शामिल थे, जिनमें कोरोना संक्रमण के गंभीर होने का खतरा ज्यादा था। वहीं एक अन्‍य अध्‍ययन में वैज्ञानिकों ने मरीजों में अंगों के काम नहीं करने की वजह का पता लगाया है।

जर्नल आफ क्लीनिकल इंवेस्टिगेशन में प्रकाशित अध्‍ययन में कहा गया है कि एंजाइम एसपीएलए 2-आइआइए मरीजों में अंगों के काम नहीं करने का कारण बनता है। विज्ञानियों का कहना है कि एंजाइम के बारे में मिली यह जानकारी कोरोना के इलाज का नया रास्ता खोजने में मदद कर सकती है। इससे कोरोना के कारण हो रही मौतों में कमी लाई जा सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि बहुत लंबे समय तक कोरोना से पीड़ित रहने में भी इस एंजाइम की भूमिका हो सकती है।