कोरोना संक्रमण से बचाव का उपाय अपनाते हुए भारत में 45 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए कोविड-19 टीकाकरण की शुरुआत 16 जनवरी को की गई थी. इसके बाद एक मई से 18 साल से अधिक आयुवर्ग के लोगों को कोविड-19 वैक्सीन लगाने की शुरुआत हुई थी. विगत 301 दिनों में कोविड टीके की 111 करोड़ से अधिक डोज लगाई जा चुकी है. जून, 2021 के बाद से टीकाकरण की रफ्तार लगातार बेहतर होती दिखी. अगस्त-सितंबर में अभूतपूर्व गति से कोविड-19 वैक्सीन लगाई गई, लेकिन अक्टूबर में टीके लगाने की रफ्तार में गिरावट दर्ज की गई. इसी बीच यूरोपीय देशों के हालात चिंतित करने वाले दिखे हैं, यूरोप में कोविड-19 टीके का स्टॉक और टीके की उपलब्धता के मामले में भारत की स्थिति देखते हुए कोरोना की तीसरी लहर और महामारी का संकट गहराने की आशंका बढ़ गई है.

नई दिल्ली : कोरोना संकट से निपटने के लिए जारी कोविड-19 वैक्सीनेशन के बीच त्योहारी सीजन भी समाप्त हो गए. अब जबकि दिसंबर नजदीक है तो नरेंद्र मोदी सरकार के दावे की अग्निपरीक्षा भी होगी. केंद्र सरकार ने कहा था कि साल के अंत तक देश की वयस्क आबादी (India’s Adult Population) का टीकाकरण कर लिया जाएगा. हालांकि, राज्यों में बढ़ते कोरोना वैक्सीन स्टॉक (Corona Vaccine Stock) के कारण चिंताएं बढ़ गई हैं. यूरोप और मध्य एशिया में कोरोना संक्रमण और टीकाकरण को देखते हुए भारत में भी भविष्य की सुरक्षा मुश्किल में दिख रही है.

दरअसल, कोविड-19 (Covid-19) टीकाकरण को लेकर सरकार की तरफ से घोषित समयावधि को पूरा होने में थोड़ा ही वक्त बाकी है. टीकाकरण अभियान शुरू होने के 300 दिनों के बाद 80 फीसदी आबादी को पहला डोज जबकि, 40 प्रतिशत को दूसरा डोज दिया जा चुका है. कागज पर भारत में कोरोना टीकाकरण के आंकड़े भले ही बेहतर नजर आ रहे हों, लेकिन यूरोप और मध्य एशिया में कोविड-19 संक्रमण एक बार फिर बढ़ रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, यूरोप और मध्य एशिया का हर एक देश कोविड के नए खतरे का सामना कर रहा है या इससे जूझ रहा है.

WHO ने कहा है कि अपर्याप्त कोविड-19 टीकाकरण और कोरोना संक्रमण से बचाव के उपायों में ढील के कारण यूरोप और मध्य एशिया में संकट गहराने के संकेत हैं. हालांकि, भारत में अभी मामलों में बढ़त नहीं देखी जा रही, लेकिन बचाव के उपायों में ढील और टीकाकरण वाली स्थितियां यहां भी देखी जा रही हैं.

भारत में टीकाकरण अभियान से जुड़े कुछ तथ्य

कोविड-19 वैक्सीनेशन कैंपेन का आगाज 16 जनवरी को हुआ.
एक मई से 18+ आयुवर्ग को वैक्सीन लगाए जाने की शुरुआत हुई.
टीकाकरण अभियान के 301 दिन पूरे होने तक भारत में 111 करोड़ से ज्यादा डोज लगाए जा चुके हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक जून में वैक्सीन की 12 करोड़ डोज लगाई गई.
जुलाई में कोरोना टीकाकरण का आंकड़ा 13.45 करोड़ पर पहुंच गया.
सरकार के आंकड़े बताते हैं कि अगस्त में कोविड वैक्सीन डोज की संख्या 18.38 करोड़ पहुंची.
सितंबर में 23.60 करोड़ कोरोना टीके लगाए गए.
अक्टूबर में टीके लगाने की गति में गिरावट आई, 17.29 करोड़ डोज दिए गए.

देश में कुल टीकाकरण का 40 फीसदी अगस्त और सितंबर में दर्ज किया गया. इसी समयावधि में भारत मे कोरोना की तीसरी लहर की दस्तक की आशंका जताई जा रही थी.

त्योहार के मौसम के बीच टीकाकरण प्रभावित होने के अलावा बीते कुछ हफ्तों में बगैर इस्तेमाल हुई वैक्सीन जो स्टॉक में है (Corona Vaccine Stock) ऐसे टीकों की संख्या तेजी से बढ़ी है. केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 121 करोड़ कोरोना वैक्सीन डोज मुहैया कराई जा चुकी है.

वैक्सीन स्टॉक से जुड़े तथ्य
1 नवंबर को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पास 13 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन बची हुई थीं.
एक महीने पहले, यानी 1 अक्टूबर को उपयोग नहीं किए गए डोज की संख्या केवल 5 करोड़ थी.
15 अक्टूबर को यह आंकड़ा केवल 10.53 करोड़ था.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धीमे टीकाकरण वाले जिलों के साथ समीक्षा बैठक में झारखंड, मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और मेघालय के 40 जिलों के जिलाधिकारियों से चर्चा की थी. इन जिलों में कोविड-19 वैक्सीन की पहली डोज का वैक्सीनेशन कवरेज 50 फीसदी से भी कम था और दूसरे डोज के मामले में भी आंकड़े काफी कम थे.

पीएम मोदी ने घर-घर जाकर टीकाकरण की बात पर जोर दिया था. उन्होंने ‘हर घर दस्तक’ की बात कही थी. उन्होंने बताया था कि यह टीकाकरण अभियान को लोगों के घर तक ले जाने के लिए कदम है.

अब जबकि यूरोप और मध्य एशिया के कुछ देशों में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है, तो भारत के लिए भी यह चेतावनी है. नागरिकों को यह समझना होगा कि कोरोना संक्रमण की एक और घातक लहर से बचने के लिए कोविड-19 टीकाकरण जरूरी है. महामारी खत्म नहीं हुई है.