भोपाल

जेपी अस्पताल में जिनेड्रिल नामक जिस कफ सीरप में फंगस मिलने का मामला सामने आया है, उसकी जांच रिपोर्ट अभी नहीं आई और अस्पताल प्रबंधन ने फिर से सीरप बांटना शुरू कर दिया है। इसके सैंपल 27 जनवरी को जांच के लिए भेजे गए थे। हालांकि कंपनी ने दवा सप्लाई के साथ एनएबीएल लैब की जांच रिपोर्ट भेजी है। इसमें दवा को स्टैंडर्ड बताया गया है। इसी आधार पर अस्पताल प्रबंधन ने जेनिथ कंपनी का यह सीरप बांटना शुरू किया गया है।

सूत्रों ने बताया कि जांच रिपोर्ट आने में करीब एक महीना लगता है। उधर, अस्पताल में कफ सीरप काफी दिन से खत्म था। अस्पताल में सीरप नहीं होने से हर दिन करीब 400 मरीजों को बाहर से दवा खरीदना पड़ रही थी। इस कारण दवा बांटने वाले कर्मचारियों और मरीजों के बीच विवाद भी हो रहे थे। बताया गया है है कि डायरेक्टोरेट ने ऐसा जिस दवा कंपनी से रेट कॉन्ट्रैक्ट किया था, उसका अनुबंध खत्म हो गया था। इस कारण यह स्थिति बनी। लिहाजा स्थानीय स्तर पर 5 हजार बॉटल जिनेड्रिल खरीदकर अस्पताल प्रबंधन ने बांटना शुरू कर दिया।

अस्पताल अधीक्षक डॉ. आईके चुघ का कहना है कि दवा कंपनी ने फॉर्म 39 में दवा सप्लाई के साथ एनएबीएल रिपोर्ट भी भेजी है। अस्पताल में दवाओं की कमी थी, इसलिए रिपोर्ट का इंतजार किए बिना सीरप बांट दिया गया। मामले की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल डायरेक्टर जेपी अस्पताल पहुंचे। इसके बाद उन्होंने सिविल सर्जन और स्टोर कीपर को दस्तावेज के साथ डायरेक्टोरेट बुलाया था।

सरकारी अस्पतालों में सप्लाई होने वाली दवाओं की जांच के लिए स्वास्थ्य संचालनालय ने 8 लैब चिह्नित की हैं। ये लैब नेशलन एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर लेबोरेट्रीज (एनएबीएल) से मान्यता प्राप्त हैं। अस्पताल में सप्लाई होने के बाद सभी बैच की दवाओं की जांच के लिए सैंपल यहां भेजे जाते हैं। इसका खर्च प्रदेश सरकार उठाती है। इस कफ सीरप की सप्लाई 25 जनवरी को हुई थी और 27 जनवरी को ही जांच के लिए सीरप के नमूने शासन द्वारा एनएबीएल लैब को भेज दिए गए थे। बता दें कि इसके पहले ईदगाह हिल्स स्थित ड्रग लैब में पिछले तीन साल में जो दवाएं अमानक मिली हैं, उनकी रिपोर्ट एनएबीएल लैब से ओके आ चुकी है। एनएबीएल रिपोर्ट के आधार पर दवाओं को बेहतर क्वालिटी की मानकर बांट दिया जाता है। इस तरह से स्टेट ड्रग लैब से अमानक निकलने तक ये दवाएं बंट चुकी होती हैं।