रोहतक: गुर्दे की समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के लिए अच्छी खबर सामने आयी है। पीजीआईएमएस रोहतक जल्द ही किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने जा रहा है। इसके लिए संस्थान को मंजूरी मिल गई है। लंबे समय से संस्थान में किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया अटकी पड़ी थी लेकिन अब इसके लिए संस्थान को मंजूरी मिल गई है। अब किडनी के मरीजों को इलाज के लिए जगह -जगह धक्के नहीं खाने पड़ेंगे तथा न ही महंगे इलाज के कारण इलाज से वंचित होना पड़ेगा। साथ ही पीजीआईएमएस विभाग द्वारा ही ऑपरेशन का पूरा खर्च वहन किया जायेगा।
आपको बता दें कि रोहतक के पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय जल्द ही किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने को लेकर संस्थान को मंजूरी मिल गई है। अब प्रदेश के मरीजों दिल्ली व निजी अस्पताल जाने की जरूरत नहीं होगी। हाल फिलहाल यह सुविधा चंडीगढ़ में ही उपलब्ध है इसलिए मरीजों को दूर दूर तक जाना पड़ता था। यह ट्रांसप्लांट शुरू होने से ब्रेन डेड मरीजों की किडनी को भी जरूरतमंदों में ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा और कई मरीजों जान को बचाया जा सकेगा। गौरतलब है कि संस्थान में किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही थी। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने संज्ञान लिया तो यह योजना अब सिरे चढ़ी है।
संस्थान के नेफ्रोलॉजी विभाग ने किडनी ट्रांसप्लांट की सभी शर्तों को पूरा कर दिया है। चंडीगढ़ से आई जांच एक्सपर्ट टीम ने भी इसकी मंजूरी दे दी है। नेफ्रोलाॅजी विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर गोयल, यूरोलॉजी से डॉ. देवेंद्र पंवार व पूरी टीम इस कार्य के लिए मौजूद है। वहीं ट्रांसप्लांट सर्जरी के दो सीनियर डॉक्टरों का चयन हो चुका है जल्दी ही इस सप्ताह उनकी ज्वाइनिंग हो जाएगी। जानकारी के अनुसार नेफ्रोलॉजी विभाग के इसके लिए पास आठ आईसीयू बैड व 30 सामान्य बेड हैं। ट्रांसप्लांट के लिए दो मॉडयूलर ऑपरेशन थियेटर भी संस्थान में हैं। मरीजों की देखभाल, ऑपरेशन टीम, आईसीयू टीम को भी तैयार कर लिया गया है।
पीजीआईएमएस के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर गोयल ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पहले मरीज व डोनर की जांच की जाएगी। अगर जाँच प्रक्रिया में दोनों स्वस्थ होंगे तो इसके बाद एक कमेटी गठित कि जाएगी । इसके साथ किडनी लेने वाले व देने वाले की पुलिस जांच होगी कि वह रक्तसंबंधी व नजदीक के रिश्तेदार ही हों साथ ही उनका ब्लड ग्रुप मिलना चाहिए और उनका डोनर फिट हो। ऑपरेशन का सारा खर्चा संस्थान देगा। लेकिन दवाओं का खर्च मरीज भुगतेगा। शुरुआत में हर महीने मरीज की दवा 15 से 20 हजार रुपये चलेगी। इसके बाद यह दस हजार रुपये प्रति माह आएगी । मरीज की किडनी सही रहे, इसके लिए समय -समय पर मरीज कि जांच और दवा उम्र भर चलेगी।