अंबिकापुर : चिकित्सा क्षेत्र में नित-नए प्रयोग-शोध के बावजूद नगर के पुराना बस स्टैंड स्थित के निकट रहने वाले नितिन गर्ग के बेटे श्रवण गर्ग का इलाज कोई डॉक्टर नहीं कर पा रहा। बच्चा छह वर्ष का हो चुका है। उसे जन्म से ही गंभीर बीमारी है। इलाज के लिए बड़े से बड़े डॉक्टरों के पास गए, मगर कोई भी डॉक्टर न तो बीमारी का नाम बता पाया और न ही उसकी दवा कर सका। मजबूरन परिजन बच्चे को प्रयोगों के लिए समर्पित करने को भी तैयार हैं, ताकि आने वाले समय में कोई और माता-पिता अपने ऐसे ब‘चों का उपचार करा सकें। दरअसल, श्रवण के दोनों पैर उसके शरीर से भारी हैं। इस कारण वह चल-फिर नहीं सकता। नितिन गर्ग का कहना है कि जब श्रवण की मां पायल की प्रसव के दौरान सोनोग्राफी हुई थी, उसी समय सोनोग्राफी में स्पष्ट रूप से बच्चे के हालात साफ दिखाई दे रहे थे। बावजूद इसके चिकित्सक ने अनदेखी की।
नितिन का आरोप है कि चिकित्सक सोनोग्राफी सही तरीके से देखकर बताते तो शायद उस वक्तपरिजन कुछ और निर्णय ले सकते थे। बेटे के इलाज के लिए परिजन दिल्ली, बिलासपुर, इंदौर, कोयंबटूर, बैलूर तक जा चुके हैं, लेकिन एक भी डॉक्टर ने बीमारी का नाम नहीं बताया और न ही कोई दवा दी। लाइलाज बीमारी से छह वषीर्य श्रवण ने आज तक उस बीमारी की कोई भी दवा नहीं ली है। श्रवण अपने उम्र के ब‘चों की तरह मानसिक रूप से स्वस्थ है। लेकिन स्कूल जाने में असमर्थ है। घर पर ही पढ़ाई-लिखाई कर रहा है।