रोहतक: जिले में डेंगू तेजी से पैर पसार रहा है। सरकारी और निजी अस्पतालों में संभावित मरीजों की संख्या आए दिन बढ़ रही है। डॉक्टर एकदम डेंगू संभावित रोगियों की संख्या में आई तेजी देखकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। डॉक्टरों की मानें तो डेंगू मरीज में इतनी कमजोरी आ जाती है कि एक दो-महीने उपचार के बाद भी रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित रहती है। बीमारी से उभरने में रोगी को लंबा समय लगता है। घरों तथा आसपास पानी ज्यादा दिन तक जमा होने से डेंगू का लार्वा बनता है। ध्यान नहीं दिए जाने पर डेंगू मच्छर पनपने लगते हैं।
मलेरिया विभाग डेंगू के मच्छरों का प्रकोप कम करने के लिए कारगर कदम उठाने में सफल साबित नहीं हो रहा हे। बहुत से इलाके ऐसे हैं जहां फॉगिंग ही नहीं हुई। बरसात से जमा पानी पर कीटाणुनाशक तेल छिडक़ने में कर्मचारी लापरवाही करते है जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग डेंगू को रोकने के लिए बड़े-बड़े दावे करता है लेकिन धरातल पर दावे कही दिखाई नहीं देते। जानकारी के अनुसार पीजीआई में गत सप्ताह १५० डेंगू के नए मरीज दाखिल हुए हैं। मेडिसन रोग के प्रसिद्ध डॉ. रवि मोहन के अनुसार उनके यहां लगभग ६० डेंगू मरीजों का इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि डेंगू फैलने में सबसे बड़ा कारण मच्छरों के प्रकोप को रोकने में प्रशासन द्वारा पर्याप्त प्रबंध न किया जाना है। उन्होंने कहा कि डेंगू मरीजों एकदम घबराना नहीं चाहिए। बुखार होने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाएं ताकि समय पर इलाज संभव हो सके। इलाज में लापरवाही बरतने पर जरूर जोखिम भरी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। जानकारों की मानें डेंगू से प्लेटलेट्स गिरने में बकरी का दूध, नारियल पानी का सेवन बेहतर उपाय हैं। पीजीआई में डेंगू से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।