नई दिल्ली। फार्मा कंपनी आधुनिक बनाई जाएंगी। इसके लिए केंद सरकार ने योजना शुरू की है। खास बात ये ही कि सरकार की इस योजना में 60 छोटे दवा निर्माता शामिल हो गए हैं।
यह है मामला
देश के 60 छोटे दवा निर्माताओं ने वैश्विक अच्छी विनिर्माण प्रथाओं (जीएमपी) के साथ अपनी इकाइयों को आधुनिक बनाने के लिए एक सरकारी योजना में सहमति जताई है। माना जा रहा है कि कई बाहरी देशों में भारतीय कफ सिरप से हुई मौतों के बाद उठने वाले सवालों के चलते यह कदम उठाया गया है।
गौरतलब है कि 2023 के दौरान कई देशों ने आरोप लगाया कि भारत से निर्यात की जाने वाली सर्दी की दवाएं और सिरप जहरीले रसायनों से दूषित थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारतीय दवाओं में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) या एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) की अनुशंसित सुरक्षित सीमा 0.10 प्रतिशत से अधिक होने पर कई अलर्ट जारी किए हैं। इसके चलते केंद्र सरकार ने भारतीय फार्मास्यूटिकल्स को वैश्विक मानकों पर लाने के लिए संबंधित मामलों और विभिन्न पहलों से जुड़ी फर्मों की जांच शुरू की।
आरपीटीयूएएस की घोषणा
इस वर्ष मार्च में रसायन और उर्वरक मंत्रालय द्वारा संशोधित फार्मास्यूटिकल्स प्रौद्योगिकी उन्नयन सहायता योजना या आरपीटीयूएएस की घोषणा की गई थी। इसे मौजूदा फार्मा इकाइयों के आधुनिकीकरण का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट द्वारा अनिवार्य संशोधित मानकों का अनुपालन करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।
बता दें कि जो 60 कंपनियां इस सरकारी योजना से जुड़ी हैं, उनमें से 30 से अधिक ने पहले ही आरपीटीयूएएस के तहत अपनी सुविधाओं को अपग्रेड करना शुरू कर दिया है। वहीं, सरकार विनिर्माण मानकों को उन्नत करने में इस योजना में भाग लेने के लिए अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को प्रोत्साहित कर रही है।