नई दिल्ली। फार्मा कंपनियां नए साल में अमेरिकी बाज़ार में बढ़त बना सकेंगी। बाजार विश£ेषकों का कहना है कि भारतीय दवा कंपनियों को पिछले दो सालों में सेक्टर के अनुकूल माहौल से लाभ मिला है। यह लाभ स्थिर जेनेरिक मूल्य निर्धारण और कमी आधारित अवसरों और कच्चे माल की स्थिर लागत के चलते माना गया है।
कहा जा रहा है कि आगामी वर्ष 2025 में अमेरिकी बाज़ार में दवा कंपनियां विभेदित और जटिल जेनेरिक में और प्रगति करेंगी। ग्लोबल रिसर्च के अनुसार ये अनुकूल माहौल 2025 में भी जारी रहने का अनुमान है, क्योंकि मांग व सप्लाई की गतिशीलता में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा है।
2025 में भारतीय कंपनियाँ इनहेलर और पेप्टाइड्स आदि के संभावित लॉन्च के साथ अमेरिका में और प्रगति करेंगी। जटिल जेनेरिक और बायोसिमिलर में प्रगति संभवत: फोकस में रहेगी क्योंकि वे जीरेवलिमिड की गिरावट को संभालने और विकास को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होंगे।
सिप्ला के लिए जीएब्रैक्सेन का क्रियान्वयन 2025 में अमेरिका में बिक्री की दिशा निर्धारित करेगा। एचएसबीसी के अनुसार, भारतीय कंपनियां जेनेरिक लिराग्लूटाइड के लॉन्च के साथ जीएलपी-1 दवाओं में अपनी यात्रा शुरू करेंगी।
भारत के फॉर्मूलेशन व्यवसाय के लिए, वैश्विक शोध फर्म ने माना कि व्यापक भारतीय फार्मा बाजार (आईपीएम) उच्च एकल अंकों की सीमा में बढ़ता है। एचएसबीसी के अनुसार कीमतों में बढ़ोतरी और नए लॉन्च से विकास में योगदान स्थिर रहना चाहिए।