दुर्ग (छत्तीसगढ़)। डीएनए टेस्ट के माध्यम से अस्पताल में बच्चों की अदला-बदली का मामला सुलझा लिया गया है। दुर्ग जिला अस्पताल के शिशु वार्ड में बच्चों की अदला-बदली हो गई थी। अस्पताल स्टाफ की लापरवाही के कारण यह मामला हुआ।

यह है मामला

दुर्ग जिला अस्पताल के शिशु वार्ड में शबाना कुरैशी और साधना सिंह दोनों ने बच्चों को जन्म दिया था। अस्पताल के स्टाफ ने बच्चे को नहलाने के बाद शबाना का बच्चा साधना को और साधना का बच्चा शबाना को सौंप दिया था। 3 दिन बाद जब शबाना डिस्चार्ज होकर घर पहुंची और बच्चे को नहलाते समय देखा तो साधना सिंह के नाम का चिट बच्चे के हाथ पर लगा हुआ था।

उन्होंने अस्पताल प्रबंधन को इससे अवगत कराया। मामले की गंभीरता को देखते हुए 6 फरवरी को दुर्ग कलेक्टर के निर्देश पर बच्चों का डीएनए टेस्ट कराया गया। अब डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट सामने आने पर बच्चों की अदला-बदली की पुष्टि हुई। इसके बाद दोनों परिवारों को उनके वास्तविक बच्चे सौंप दिए गए। शबाना को साधना का बच्चा सौंपा गया और साधना को शबाना का बच्चा।

इस पूरे मामले में बच्चों के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही पर नाराजगी जताई और कहा कि ऐसे हादसे की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए। इस मामले के बाद जिला प्रशासन ने जांच समिति का गठन किया है और अब आगे की कार्रवाई की जाएगी। सिविल सर्जन हेमंत साहू ने कहा कि हमने दो दिनों के अंदर डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट खोली और जैविक माता-पिता की पहचान की। दोनों परिवारों को उनके बच्चे सौंप दिए गए हैं। उधर, नोडल अधिकारी एम भार्गव का कहना है कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।