मुंबई। भारतीय दवा बाजार में 11.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह जानकारी मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने दी। रिपोर्ट के अनुसार, इसकी तुलना में, पिछले वर्ष जून में, आईपीएम में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। मई 2025 में, फार्मा मार्केट में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
रिपोर्ट में बताया गया है कि यह नवीनतम वृद्धि रेस्पिरेटरी, कार्डियक, सेंट्रल नर्वस सिस्टम, और पेन थैरेपी जैसे क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन के कारण हुई। इनका प्रदर्शन जून में आईपीएम से बेहतर रहा। एक्यूट थैरेपी में वृद्धि जून 2024 के 7 प्रतिशत और मई 2025 के 5 प्रतिशत की तुलना में इस वर्ष जून में 11 प्रतिशत रही। जून में एंटी-इन्फेक्टिव दवाओं की वार्षिक वृद्धि दर में पिछले महीनों की तुलना में महत्वपूर्ण सुधार हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 12 महीनों में आईपीएम की वृद्धि में 4.2 प्रतिशत मूल्य वृद्धि हुई। उसके बाद 2.3 प्रतिशत नए लॉन्च वृद्धि और 1.5 प्रतिशत मात्रा वृद्धि का योगदान रहा। इंडस्ट्री ने वार्षिक वृद्धि दर 8 प्रतिशत दर्ज की। क्रॉनिक थैरेपी में वार्षिक वृद्धि दर 10 प्रतिशत रही, जबकि एक्यूट थैरेपी में वार्षिक वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रही।
कार्डियक थैरेपी में वार्षिक वृद्धि दर 11.8 प्रतिशत सबसे अधिक रही। उसके बाद सीएनएस की वृद्धि दर 9.1 प्रतिशत और डर्मल थेरेपी की वृद्धि दर 8.6 प्रतिशत रही। जून में कुल आईपीएम में एक्यूट सेगमेंट की हिस्सेदारी 60.8 प्रतिशत रही। सालाना आधार पर वृद्धि 6.8 प्रतिशत रही। जून में घरेलू कंपनियों ने बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों (एमएनसी) से बेहतर प्रदर्शन किया। जून तक भारतीय दवा कंपनियों के पास आईपीएम में 84 प्रतिशत की बहुलांश हिस्सेदारी है। जून 2025 में सालाना आधार पर भारतीय कंपनियों की वृद्धि दर 11.6 प्रतिशत रही, जबकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों की वृद्धि दर 11.2 प्रतिशत रही।