आगरा। नकली दवा की बिक्री में हाईटेक तरीके का भंडाफोड़ हुआ है। एक बिल के नाम पर 10 गुना दवाओं को खपा रहे थे। विक्रेता के यहां डिलीवरी होने के बाद कंप्यूटर से पुराना रिकॉर्ड हटाकर उसी बिल से दूसरे ऑर्डर अपलोड कर देते थे। जब्त कंप्यूटरों की सॉफ्टवेयर डाटा एनालिसिस से खेल पकड़ा गया है।

यह है मामला

सहायक आयुक्त औषधि बस्ती मंडल नरेश मोहन दीपक ने बताया कि बंसल परिवार और हिमांशु अग्रवाल की फर्म की जांच की गई। इसमें 11 फर्म पकड़ी गई हैं। इनके यहां से जब्त कंप्यूटर का बैकअप डाटा निकलवाया है। इसमें माफिया ने एक ही बिल से कई विक्रेताओं को दवाएं बेचने का रिकॉर्ड मिला है। विक्रेता के यहां दवाएं पहुंचने के बाद पूर्व के विक्रेता का नाम हटाकर नए को अपलोड कर दिया जाता था।

इससे जांच में दवाओं के बिल शो करते थे। इनके कंप्यूटर की जांच में ही बरेली, अलीगढ़, लखनऊ, मुजफ्फरनगर की फर्म पकड़ में आई है। अभी बाकी के 6 फर्म के कंप्यूटरों की जांच चल रही है। इससे अभी और दवा विक्रेताओं के साक्ष्य मिले हैं। जल्द ही बड़ी कार्रवाई और होगी। इन फर्म से करीब 71 करोड़ की दवाएं जब्त की हैं और 30 से अधिक सैंपल जांच के लिए भेजे हैं। इनमें से मुधमेह-एंटी एलर्जिक दवा नकली मिली है।

माफिया नामी कंपनी के एक ही बैच नंबर से 1000 गुना तक नकली दवाएं बनवाते थे। उसे 36 फीसदी छूट पर विक्रेताओं को बेचा जाता था। भारी छूट के कारण विक्रेता दवा के आधिकारिक डीलर के बजाय माफिया से खरीदते थे। इससे कई गुना बिक्री होने से करोड़ों रुपये महीने की कमाई कर रहे थे।