नई दिल्ली। सर्प विषरोधी दवा की ताकत को अब प्रयोगशाला में परखा जाएगा। भारत इसके लिए प्रयोगशाला आधारित तकनीक विकसित कर रहा है। इससे हजारों जीवों की जान बच सकेगी।

यह है मामला

हैदराबाद स्थित सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के सहयोग से यह कवायद होगी। पारंपरिक जानवरों पर जांच को कम कर इन-विट्रो तकनीक विकसित करना शुरू किया है। यह तकनीक विष के अलग-अलग टॉक्सिन्स पर एंटी वेनम की असरकारक क्षमता को माप सकती है। इससे जीवित जानवरों पर परीक्षण की जरूरत 50 फीसदी तक कम हो जाएगी।

भारत में बनने वाले सर्प विषरोधी इंजेक्शन की गुणवत्ता जांच के लिए एक ईडी 50 नामक जांच होती है। इसके लिए हर उत्पादन फैक्टरी में करीब 3,700 चूहों का इस्तेमाल होता है। यह खोज लागत और जानवर दोनों को बचाने के लिए है।
इस तकनीक से एंटीवेनम उत्पादन की लागत में करीब 30 फीसदी कमी आने का अनुमान है। परीक्षण में कम मात्रा में विष की जरूरत होगी और इससे सांपों से बार-बार विष निकालने की प्रक्रिया भी घटेगी। यह वन्यजीव संरक्षण के लिहाज से भी महत्वपूर्ण कदम होगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले से ही इन-विट्रो टेस्टिंग को अपनाने की सिफारिश कर रहा है। ज्यादातर देशों में इसे पूरी तरह लागू नहीं किया गया है। अगर भारत में यह प्रयोग सफल रहा तो इसे वैश्विक मानक बनाया जा सकता है।