नई दिल्ली। दवा कंपनियों को यखत निर्देश दिए गए हैं कि अगर उन्होंने गलत जानकारी दी तो प्रतिबंध लगाया जाएगा।यह निर्देश मध्यप्रदेश और राजस्थान में जहरीली कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने जारी किए हैं। अब गलत जानकारी देने या फर्जीवाड़ा करने वाली दवा कंपनियों और सौंदर्य सामग्री की निर्माताओं पर शिकंजा कसाना शुरू कर दिया है।
यह है मामला
केंद्र सरकार ने औषधि नियम, 1945 में संशोधन के लिए मसौदा नियम जारी किए हैं। इसके तहत गलत या भ्रामक जानकारी देने पर कंपनियों और निर्माताओं पर प्रतिबंध लगाया जा सकेगा। वर्तमान में नियामक की मंज़ूरी प्राप्त करने के लिए दवा निर्माताओं द्वारा दी ऐसी झूठी जानकारी देने पर कार्यवाही का कोई प्रावधान नहीं है। वर्तमान में निर्माता पंजीकरण प्रमाणपत्र-लाइसेंस की किसी भी शर्त का पालन करने में विफल रहता है, तो पंजीकरण प्रमाणपत्र या लाइसेंस का निलंबन किया जा सकता है। लेकिन, प्राधिकरण स्तर पर यह कार्रवाई नहीं हो सकती। अब इस प्रस्तावित संशोधन के साथ लाइसेंसिंग प्राधिकरण पंजीकरण प्रमाणपत्रों और लाइसेंसों के निलंबन या रद्दीकरण हो सकता है। वहीं आवेदकों पर प्रतिबंध भी लगा सकेगा।
इस पर हितधारकों से 30 दिन में सुझाव मांगे हैं। अधिसूचना में कहा गया कि कोई भी भ्रामक, नकली या मनगढ़ंत दस्तावेज और जानकारी प्रस्तुत करने का दोषी मिला, तो उसे बोर्ड प्रतिबंधित कर सकेगा। पीडि़त पक्षों को अपील करने और नोटिस प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर उसका जवाब देना होगा। आयात-निर्यात या विपणन में जहां 60 दिन का समय मिलता है। वहां 30 दिन की बाध्यता नहीं रहेगी। दवा और सौंदर्य प्रशासन निर्माता कंपनियां मंजूरी प्राप्त करने के लिए भ्रामक या गलत जानकारियां देती हैं। ऐसे में नए नियमों की जरूरत महसूस की जा रही थी।









