ग्वालियर (मप्र)। नकली दवा बनाने वाली फैक्ट्री के संचालक को 7 साल की जेल हुई हेै। नकली दवाओं के निर्माण के मामले में विशेष सत्र न्यायालय ने आरोपी संजय पाठक को दोषी करार दिया है।
यह है मामला
न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के आरोपी को 7 साल का कठोर कारावास सुनाया है। साथ ही 8 लाख 40 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि यह कोई तकनीकी चूक नहीं है। यह समाज और आमजन के स्वास्थ्य के खिलाफ किया गया गंभीर अपराध है।
अदालत ने कहा कि आरोपी ने फूड सप्लीमेंट का लाइसेंस लेकर उसकी आड़ में नकली एलोपैथिक दवाओं की फैक्ट्री संचालित की। आरोपी वैध ड्रग लाइसेंस नहीं रखता था। न ही दवाओं के स्रोत व निर्माता से जुड़ी जानकारी जांच एजेंसियों को दे सका है। यह कानून का स्पष्ट उल्लंघन है।
आरोपी संजय पाठक वर्ष 2018 से खांसी का सिरप और एंटीयायोटिक दवाओं का अवैध निर्माण कर रहा था। दिल्ली से आई केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की टीम ने पुरानी छावनी स्थित दवा फैक्ट्री मेसर्स केलैक्स हेल्थकेयर लिमिटेड पर छापा मारा था।
जांच के दौरान बिना वैध ड्रग लाइसेंस के दवाओं का निर्माण के सबूत मिले। टीम ने यहां से दवाओं का कच्चा माल, पेंकिंग रेपर व हल्युमिनियम फॉइल, टैबलेट, कैप्सूल व सिरप बनाने की मशीने जब्त की थीं। मौके से जब्त दवाओं के नमूने केंद्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला मुंबई भेजे गए। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि एंटीबायोटिक दवा में संफिक्सीम की पहचान नहीं हुई। इससे दवा को स्प्यूरियस (नकली) घोषित किया गया। गिरफ्तारी के बाद आरोपी लगभग एक वर्ष तक जेल में भी रहा था।










