कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानुपर से अजब गजब मामला सामने आया है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दवा की दुकानें संचालित करने के मामले अब सुर्खियों में आते दिख रहे है। नया मामला कानपुर से आया है, जहां किसी के लाइसेंस पर कोई और दुकान खोल के बैठा है। इसके पीछे दुकान संचालक व ड्रग इंस्पेक्टर कार्यालय की मिलीभगत बताई जा रही है। मामला इतना बड़ा हो गया कि इसकी आवाज प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गई।
हुआ यूंकि, एक महिला फार्मासिस्ट की शिकायत पर एक मामला सामने आया है। इसमें दुकान संचालक व ड्रग इंस्पेक्टर कार्यालय की मिलीभगत से फार्मासिस्टों का रजिस्ट्रेशन नंबर लगाकर किसी और को लाइसेंस जारी कर दिया जा रहा है। कानपुर के कल्याणपुर आवास विकास निवासी फार्मासिस्ट नीलीमा पाल ने नौकरी के लिए आवेदन किया तो पता चला कि उसके रजिस्ट्रेशन नंबर से लेहड़ा में एक दवा की दुकान चल रही है। शिकायत के बाद ड्रग इंस्पेक्टर उसे गुमराह करते रहे। इस पर नीलीमा ने मामले को प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचा दिया है।
नीलिमा ने कहा कि 27 सितंबर 2017 को उसके रजिस्ट्रेशन नंबर पर लेहड़ा में एक दवा की दुकान का लाइसेंस जारी किया गया। नौकरी के आवेदन के समय पूरा खेल खुला। असल में उनके रजिस्टे्रशन नंबर पर दुर्गेश नाम के एक व्यक्ति को फार्मासिस्ट दिखाया गया है। मामले की जांच के बाद औषधि अनुज्ञापन प्राधिकारी गोरखपुर मंडल ने 24 अप्रैल 2017 को दुकान का लाइसेंस निरस्त करने का आदेश दिया। लेकिन उस पर आज तक अमल नहीं हुआ।
पुन: जांच की मांग की तो ड्रग इंस्पेक्टर ने रिपोर्ट लगा दी कि दुकान पर फार्मासिस्ट अनुपस्थित मिले। उन्होंने भी लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति की। अभी तक इस मामले की बस जांच ही चल रही है। एक तरीके से कहा जाए तो यहां मेडिकल स्टोर घोटाला होता दिख रहा है, जहां किसी के लाइसेंस पर किसी को दवा दुकान चलाने के लिए लाइसेंस दे दिया जा रहा है।