हल्द्वानी। उत्तराखंड में दवाओं को लेकर हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है, जो प्रदेश के लोगों के लिए खुशखबरी लेकर आया है। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को जीवनरक्षक दवाएं निशुल्क उपलब्ध करवाने के आदेश दिए हैं। इस फैसले का सीधा फायदा मरीजों को होगा, जिनको अब निशुल्क दवाएं उपलब्ध हो सकेंगी।
एक याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की अदालत ने सरकार को कर्मचारियों के मेडिकल प्रतिपूर्ति बिलों का भुगतान तीन माह में सुनिश्चित रूप से करने निर्देश भी दिए। हल्द्वानी निवासी दीपा पंत ने करीब चार साल पहले हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा था कि शिक्षा विभाग में बतौर गणित के एलटी अध्यापक तैनात रहे उनके पति दिनेश चंद्र पंत को साल 2010 में दिल की बीमारी हो गई थी।
एसटीएच से रेफर होने पर राम मूर्ति मेडिकल कॉलेज बरेली में उनका इलाज चला था लेकिन 13 जुलाई 2011 को उनकी मौत हो गई। जिसके बाद दीपा पंत ने पति के मेडिकल बिलों के भुगतान के लिए शिक्षा विभाग में अर्जी लगाई लेकिन विभाग बिल भुगतान करने की जगह उन्हें चक्कर कटवाता रहा।
याचिका में आरोप लगाया गया कि विभाग के एडिशनल डायरेक्टर ने बिल में कटौती करते हुए 3 लाख 22 हजार 314 रुपये का बिल 2 लाख 54 हजार 83 रुपये कर दिया। करीब चार साल तक लंबी भागदौड़ के बावजूद भुगतान न होने पर साल 2015 में दीपा ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई।
इसपर न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार को छह सप्ताह में 2 लाख 54 हजार 83 रुपये का भुगतान 12 प्रतिशत ब्याज समेत करने का आदेश दिया है। अदालत ने सरकार को कैंसर, दिल आदि बीमारियों के लिए जीवन रक्षक दवाएं मुफ्त में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।