नई दिल्ली। माइग्रेन से पीड़ित मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने माइग्रेन के दर्द से राहत दिलाने वाली नई दवा को मंजूरी दे दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस दवा की मदद से माइग्रेन के दर्द से जूझ रहे तमाम लोगों को बेहतर इलाज मिल सकेगा। इस दवा को ऐम्गन और नोवार्टिस नामक दवा कंपनी ने तैयार किया है। इसका नाम ऐमोविग है और यह इंजेक्शन की तरह ली जाएगी। इसे मासिक तौर पर एक उपकरण के जरिये लिया जाएगा, जो इंसुलिन पेन की तरह होता है। इस दवा की सालाना कीमत भारतीय रुपये में अभी 4.70 लाख है। कंपनी ने बताया कि इस दवा पर मासिक खर्च तकरीबन 40 हजार रुपये के करीब आएगा। गौरतलब है कि माइग्रेन के दर्द से निजात के लिए अभी तक जो दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं, उनके काफी साइड इफेक्ट भी हैं। यह दवाएं असल में मिर्गी और झुर्रियों को कम करने के लिए बनाई गई थीं।
अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है कि माइग्रेन के अधिकांश मरीज इन दवाओं का सेवन इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि इससे उन्हें कोई खास फायदा नहीं होता है। इनके गंभीर साइड इफेक्ट भी हैं।  बताया गया है कि ऐम्गन और नोवार्टिस के अलावा एमोविग दवा लिलि, टेवा और ऐल्डर कंपनियों ने भी तैयार कर ली है या इसकी प्रक्रिया अंतिम चरण में है। सूत्रों की मानें तो अन्य कंपनियों की दवा मंजूरी के लिए एफडीए के पास लंबित भी हो सकती है। ऐमोविग दवा शरीर में ष्द्दह्म्श्च और प्रोटीन को टुकड़ों में तोड़ देती है। यह वह प्रोटीन है जो माइग्रेन को उकसाता है और फिर स्थिर बना देता है। दुनियाभर में हर 7 में से 1 व्यक्ति माइग्रेन से पीडि़त है। माइग्रेन के लिए उपलब्ध दवाएं उसका अटैक होने से नहीं रोक सकती हैं, मगर उसकी फ्रीक्वेंंसी को 50 फीसदी तक कम कर सकती हैं। माइग्रेन के दर्द से जूझ रहे लोगों का दर्द अक्सर इतना बढ़ जाता है कि वे खुद को नि:शक्त और निराश महसूस करने लगते हैं