नई दिल्ली: स्टेम सेल से इलाज का दावा कितना कारगर है और इसको लेकर क्या प्रावधान होने चाहिए, मरीजों को ये सब बताने के लिए भारतीय चिकित्सा परिषद (आइसीएमआर) योजना पर काम कर रही है। अकसर देखने में आया है कि लाइलाज बीमारियों में डॉक्टर स्टेम सेल कोकारगर मानते हैं। परंपरागत दवाओं से इलाज कराकर परेशान मरीजों के पास कोई और विकल्प भी नहीं होता और इसमें इलाज खर्च भी मोटा होता है।
अब आइसीएमआर अपनी वेबसाइट के जरिए मरीजों को स्टेम सेल थेरेपी के बारे में जानकारी देगी। स्टेम सेल थेरेपी मरीजों के इलाज के लिए अभी अधिकृत थेरेपी नहीं है। फिर भी प्राइवेट डॉक्टर स्टेम सेल से कई बीमारियों का इलाज कर रह मोटी रकम वसूल रहे हैं।  आइ. सी. एमआर इसको लेकर सख्त नजर आ रहा है। स्टेम सेल से जुड़ी तमाम जानकारी आईसीएमआर वेबसाइट पर अपलोड करेगी। ऐसे में मरीज जानकारी ले सकेंगे कि स्टेम सेल किन बीमारियों के इलाज में कारगर है और किन बीमारियों के इलाज के नाम पर डॉक्टर गैरकानूनी रूप से पैसा वसूल रहे हैं। आइसीएमआर की महानिदेशक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन कहती हैं कि कि स्टेम सेल ल्यूकिमिया (ब्लड कैंसर), थैलेसीमिया आदि रक्त की बीमारियों फायदेमंद है।
कई डॉक्टर मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों का इलाज कर रहें हैं। वे दावा करते हैं कि स्टेम सेल से ऑटिज्म, पारकिंसस, सेरिब्रल पैलसी, ब्रेन स्ट्रॉक जैसी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को फायदा होता है। डॉक्टर न सिर्फ यह दावा करते हैं बल्कि मरीजों का इलाज भी कर रहे हैं और पैसे भी लेते हैं। यह भी तब, जबकि अब तक शोधों में यह साबित नहीं हुआ है कि स्टेम सेल मस्तिष्क की बीमारियों में कितना फायदेमंद है।
यह तकनीक अभी शोध और क्लीनिकल परीक्षण के स्तर पर है। इस दौरान नियमानुसार मरीजों से पैसे लेना गैरकानूनी है। इलाज के किसी तकनीक पर शोध और क्लीनिकल परीक्षण से पहले आइसीएमआर से स्वीकृति लेना पड़ता है। उसके बगैर क्लीनिकल परीक्षण करना नियमों के विरुद्ध है।