मुंबई। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने साफ किया है कि फार्मा कंपनियों को यूएसएफडीए के हर कदम की तत्काल जानकारी देनी होगी। अगर ऐसा नहीं होता है तो उनके खिलाफ कड़ा एक्शन होगा। बता दें कि अभी दवा कंपनियां सिर्फ यूएसएफडीए से फॉर्म 483 की जानकारी देती हैं। यूएसएफडीए ने क्या आपत्तियां की हैं इसकी जानकारी बाद में आती है। बता दें कि यूएसएफडीए की आपत्तियों का शेयर कीमत पर असर होता है। कंपनियों पर जानकारी देर से देने का आरोप लगता रहा है। कंपनियों पर पूरी जानकारी नहीं देने का भी आरोप है। गौरतलब है कि जांच के बाद यूएसएफडीए फॉर्म 483 जारी करता है। फॉर्म 483 में विस्तार से आपत्तियां होती हैं। देश में एनालिस्ट, पत्रकारों को यूएसएफडीए से जानकारी लेनी पड़ती है। जानकारी हासिल होने में 1 से 2 हफ्ते लगते हैं। इस दौरान शेयर में सट्टेबाजी होती रहती है। अमेरिका के एफओआईए यानि फ्रीडम ऑफ ऑफिशियल इन्फॉर्मेशन एक्ट के तहत जानकारी मिलती है।