नई दिल्ली। पुलिस ने पालम इलाके से लिंग परीक्षण के आरोप में एमबीबीएस डॉक्टर व एक अन्य को गिरफ्तार किया है। हैरानी की बात यह है कि 2.45 लाख रुपए वेतन पाने वाला एमबीबीएस डॉक्टर मात्र कानूनी प्रतिबंध के बावजूद मात्र बीस हजार रुपयों के लालच में लिंग परीक्षण जैसा अनैतिक कार्य करने में मशगूल रहा। आरोपियों की पहचान डॉक्टर अमित और विक्रम के रूप में हुई है। पुलिस जांच में पता चला कि विक्रम ग्राहक ढूंढकर इस डॉक्टर के जरिये अल्ट्रासाउंड करवाता था। दोनों की हिस्सेदारी ग्राहक से मिलने वाली राशि में आधी-आधी थी। ये कई महीने से इस धंधे में लगे हुए थे।
एक पुलिस अधिकारी के अनुसार हरियाणा के नारनौल में स्वास्थ्य विभाग की टीम को विक्रम के बारे में जानकारी मिली थी। इसके आधार पर टीम तैयार कर एक महिला को अल्ट्रासाउंड कराने के लिए नकली ग्राहक बनाया गया। महिला ने श्रीगंगाराम डायग्नोस्टिक सेंटर में बैठने वाले विक्रम से संपर्क साधा। विक्रम ने महिला से 40 हजार लेने के बाद लिंग परीक्षण जांच के लिए द्वारका सेक्टर-7 स्थित ऑरबिट इमेजिंग एंड पैथ लैब भेज दिया। यहां डॉक्टर ने महिला का अल्ट्रासाउंड करके उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग के बारे में बता दिया। टीम ने एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट पुनीत कुलक्षेत्रा के साथ रेड कर मौके से निरीक्षण रिपोर्ट, जनरल अल्ट्रासाउंड रजिस्टर, एएनसी रजिस्टर, दो मोबाइल, चार फार्म और दो हजार के 20 नोट अपने कब्जे में ले लिए। मौके पर ही अल्ट्रासाउंड करने वाली मशीन को पुलिस ने सील करवा दिया। बताया गया है कि विक्रम जिस गंगाराम डायग्नोस्टिक सेंटर में बैठकर डील करता था, उसका रजिस्ट्रेशन भी नहीं है। पुलिस इस बारे में पता लगाने का प्रयास कर रही है कि अभी तक वे इस तरह से कितने लिंग परीक्षण की जांच कर चुके थे। इस अधिनियम के तहत पहली बार पकड़े जाने पर तीन साल की कैद व पचास हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। दूसरी बार पकड़े जाने पर पांच साल कैद और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। इसके साथ ही लिंग जांच करने वाले क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है।