कोलकाता (प. बंगाल)। रिंगर्स लैक्टेट के बाद पश्चिम बंगाल फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड की 14 और दवाओं पर बैन लगा दिया गया है। इस बारे में राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों के अधीक्षक और जिलों के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारियों को नोटिस भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि नोटिस में उल्लिखित खारे घोल का कहीं भी उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
नोटिस में डेक्सट्रोज इंजेक्शन, लेवोफ्लॉक्सासिन इन्फ्यूजन, मैनिटोल इन्फ्यूजन आईपी 20 ग्राम, ओफ्लॉक्सासिन इन्फ्यूजन, पीडियाट्रिक मेंटेनेंस इलेक्ट्रोलाइट सॉल्यूशन, पैरासिटामोल इन्फ्यूजन, सोडियम क्लोराइड इंजेक्शन, रिंगर्स लैक्टेट सॉल्यूशन, रिंगर सॉल्यूशन जैसी दवाओं का उल्लेख है।
गौरतलब है कि मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में हाल ही में प्रसव के दौरान पांच गर्भवती महिलाएं बीमार पड़ गयीं। इनमें से एक की मौत हो गई। मृतका के घरवालों ने दावा किया कि सलाइन दिये जाने के बाद उसकी शारीरिक हालत बिगड़ गयी थी। ऐसा प्रतीत होता है कि उन सभी को वेस्ट बंगाल फार्मास्युटिकल प्राइवेट लिमिटेड निर्मित रिंगर्स लैक्टेट दिया गया था। बीते माह दिसंबर में बंगाल औषधि नियंत्रण के सिलीगुड़ी क्षेत्रीय कार्यालय ने पश्चिम बंगाल फार्मास्यूटिकल्स को 14 प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन बंद करने को कहा था।
स्वास्थ्य विभाग ने उक्त कंपनी की 14 दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। नोटिस में कहा गया है कि किसी अस्पताल के पास स्टॉक है, तो भी उसका उपयोग नहीं होना चाहिए। बैन की गई 14 प्रकार की दवाइयां पहले पश्चिम बंगाल फार्मास्यूटिकल्स सरकारी अस्पतालों को सप्लाई करती थीं। अस्पतालों को बाकी सात दवाएं बाहर से खरीदनी होंगी।