AIIMS:  रायबरेली में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संज्ञान (AIIMS) के पास नकली दवाओं की ब्रिकी हो रही है। इन दवाओं की लखनऊ प्रयोगशाला में जांच होने पर सामने आया कि एक दवा नकली पायी गई है। जांच में सामने आया कि दवा में सिफैक्जिम साल्ट नहीं मिला, जबकि दवा की कंपनी की ओर से दावा किया गया था कि दवा में सिफेक्जिम है। दवा की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ड्रग इंस्पेक्टर ने संबंधित बैच की दवा की ब्रिकी पर रोक लगाने के लिए दुकानदार को बिल उपलब्ध कराने के आदेश  दिए हैं।

जांच में दवा को नकली घोषित किया गया (AIIMS)

इसी साल फरवरी महीने में ड्रग इंस्पेक्टर शिवेंद्र प्रताप सिंह ने एम्स के पास शकुंतला मेडिकल स्टोर से एमआईएसएफ-200 एमबी (बैच नंबर-सीएलबी 45696) टैबलेट का नमूना भरकर जांच के लिए लैब में भेजा था। इस दवा की एक्सपायरी दिसंबर 2024 है। दवा की जांच रिपोर्ट सोमवार को सामने आयी। ड्रग इंस्पेक्टर शिवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि इस दवा में  सिफेक्जिम और लैक्टोबैसिलस साल्ट का दवा किया गया है। लेकिन जांच में दवा में सिफेक्जिम नहीं पाया गया। जांच में दवा को नकली घोषित किया गया है।

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दुकानदार को दवा के बिल उपलब्ध कराने के आदेश दिए गए हैं। साथ ही इस दवा को ना बेचने के आदेश दिए गए हैं। इस मामले की पूरी जांच के बाद एसीजेएम कोर्ट में मुकदमा किया जाएगा।

इंफेक्शन रोकने के लिए दी जाती है दवा 

ड्रग इंस्पेक्टर शिवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि इस साल्ट की दवा का उपयोग विभिन्न इंफेक्शन रोकने के लिए किया जाता है। यह दवा दस्त में भी राहत देती है। शरीर में खराब बैक्टीरिया नष्ट होते हैं तो लाभकारी बैक्टीरिया पेट और आंतों की आंतरिक परतों को सुरक्षित करते हैं।

लेकिन ये दवा जांच में नकली पायी गई है। इस दवा को लेने से मरीज की मौत भी हो सकती है।