जयपुर (राजस्थान)। एलर्जी, खुजली की दवा जांच में नकली मिली है। स्वास्थ्य विभाग ने दवा लिवोसिट्रीजीन डाईहाईड्रोक्लोराईड टेबलेट की बिक्री पर रोक लगा दी है। सरकारी लैबोरेट्री में जांच के बाद यह दवा 100 फीसदी नकली पाई गई है। इसमें सक्रिय औषधीय घटक बिल्कुल शून्य मिला। इस खुलासे ने मरीजों और चिकित्सकों में हडक़ंप मचा दिया है। यह दवा देशभर के फार्मेसी स्टोर्स और अस्पतालों में धड़ल्ले से बिक रही थी।
यह है मामला
ड्रग कंट्रोल कमिश्नर डॉ. टी. शुभमंगला ने बताया कि बद्दी में स्थित वाईएल फार्मा द्वारा निर्मित विनसेट-एल टेबलेट की शिकायत मिली थी। इस दवा के सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे। जांच में दवा में लिवोसिट्रीजीन का अंश शून्य पाया गया। यानी गोली में केवल स्टार्च, चाक पाउडर और बाइंडर जैसे निष्क्रिय पदार्थ थे। ये किसी भी एलर्जी या सूजन में कोई राहत नहीं देते।
नकली दवा के खुलासे के बाद विभाग ने वाईएल फार्मा के बद्दी स्थित उत्पादन परिसर को सील कर दिया। राजस्थान में 24 दवा फर्मों का निरीक्षण किया। यहां से लगभग 20 लाख रुपये की नकली विनसेट-एल टेबलेट्स जब्त की। इनमें से अधिकांश स्टॉक जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर और अजमेर के थोक विक्रेताओं के पास मिले। यह नकली दवा मरीजों की बीमारी को बढ़ा रही थी। साथ ही अनजाने में एलर्जी के गंभीर हमलों का खतरा भी पैदा कर रही थी। मरीज दवा लेने के बाद भी राहत न मिलने पर डॉक्टर बदलते रहे। जबकि असल समस्या नकली दवा थी।
53 दवाओं के सैंपल जांच के लिए भेजे
विभाग ने वाईएल फार्मा की अन्य 44 दवाओं के सैंपल और अन्य 3 संदिग्ध निर्माताओं की 9 दवाओं के सैंपल भी जांच के लिए भेजे हैं। इनमें एंटीबायोटिक्स, दर्द निवारक और एंटी-हिस्टामाइन दवाएं शामिल हैं। परिणाम आने के बाद और कंपनियों पर कार्रवाई हो सकती है। फिलहाल कानूनी प्रक्रिया अमल में लाई जा रही है।









