मुंबई। भारतीय फार्मा कंपनियों पर अमेरिका ज्यादा टैरिफ नहीं लगाएगा। ऐसे में यूएस बेस वानली भारतीय फार्मा कंपनियों के पास बेहतर अवसर हैं। बता दें कि फार्मा सेक्टर पर ट्रंप की टेढ़ी नजर है। ट्रंप चेतावनी दे चुके हैं कि फार्मा इंडस्ट्री के लिए टैरिफ छूट जल्द खत्म हो सकती है। उनके इस बयान से फार्मा सेक्टर में अनिश्चितता का माहौल है।
इस संबंध में समर्थ लाइफसाइंसेज के प्रेसिडेंट केवल हांडा का कहना है कि यूएस को भारत करीब 9 अरब डॉलर का फार्मा एक्सपोर्ट करता है। फार्मा सेक्टर पर हाई टैरिफ प्ले करना ट्रंप सरकार के लिए मुश्किल होगा। इसका कारण है यह है कि 80 फीसदी फार्मास्युटिकल के रॉ मटेरियल्स यूएस में नहीं बनते बल्कि इंपोर्ट होते हैं। यानी यूएस में मैन्यूफैक्चरिंग बेस बहुत ज्यादा कमजोर है। इसलिए फाइजर जैसी बड़ी कंपनियों को ट्रंप ने कहा कि आप यूएस में रॉ मटेरियल्स बनाना शुरु करें। जायडस लाइफ, डॉ रेड्डीज, सन फार्मा ल्यूपिन जैसे भारतीय कंपनियों का बेस अमेरिका में है और यह मैन्यूफैक्चर भी करती हंै।
यूएस में फार्मा प्रोडक्ट की शॉर्टेज हो रही है। चीन और यूरोप अमेरिका पर काउंटर टैरिफ लगाने पर विचार कर रहे है। ऐसे में भारतीय फार्मा कंपनियों पर 10 फीसदी से ज्यादा टैरिफ की आशंका कम है। भारतीय फार्मा कंपनियों पर अमेरिका ज्यादा टैरिफ नहीं लगाएगा। अगर ऐसा नहीं होता तो अमेरिकी फार्मा कंपनियों को सप्लाई की दिक्कत आ सकती है।
उन्होंने कहा कि डॉ. रेड्डीज, सन फार्मा जाइडस, ल्यूपिन जैसे कंपनियां के बेस यूएस में है। यूएस ने इन कंपनियों को टैक्स या सब्सिडी में कुछ छूट दी तो ये कंपनियां यूएस में अपने स्कैल को बढ़ा सकेंगी। ऐसे में अमेरिकी बेस वाली भारतीय कंपनियों के लिए अच्छे मौके हंै।