मोतिहारी (उप्र)। दवा दुकानों के कैंसिल लाइसेंस को फिर से बहाल किया है। नकली दवा की बिक्री में आधा दर्जन दवा दुकानों के लाइसेंस रद्द किए थे। अब इन्हें फिर से बहार कर दिया है। पता और स्थान समान रह गया है। पति की जगह पत्नी के नाम से लाइसेंस दिया गया है। वहीं, दुकान के बोर्ड का नाम बदल दिया गया है। ड्रग विभाग का यह कारनामा शहर के दवा दुकानदार से लेकर जानकार लोगों में चर्चा का विषय बना है।

जिले में करीब दस हजार दवा की दुकानें बगैर लाइसेंस के चल रही हैं। इन दुकानों में दवा कहां से आती है, न तो इसकी जांच होती है और न दवा गुणवत्ता की जांच होती है। डीएम के पास ऐसी दुकान की सूचना मिलने पर उनके निर्देश पर जांच की जाती है। विभाग की हालत यह है कि बस लाइसेंसी दवा की दुकान तक दौड़ लगाई जाती है। बिल की चेकिंग भी नहीं होती है।

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रियरंजन शर्मा ने बताया कि सरकार ने दवा के दाम सात प्रतिशत कम कर दिए हैं। मगर अधिकांश दवा की दुकान में पुराने प्रिंट पर दवा दी जाती है। मांगने पर बिल नहीं दिया जाता है। इसकी शिकायत ड्रग विभाग से करने पर भी कोई सुनवाई नहीं होती है। नियमानुसार जिस दवा दुकान का लाइसेंस रद्द होता है, छह महीने तक उसी स्थान पर दवा दुकान का लाइसेंस किसी को नहीं दिया जा सकता। आरोपी के परिवार के नाम से भी लाइसेंस नहीं दिया जा सकता है।

यहां तो नकली दवा की बिक्री के आरोप में दुकानदार का नाम बदल कर दवा दुकान का लाइसेंस दे दिया गया है। लाइसेंस वाली दुकान में ही होलसेलर को दवा की आपूर्ति करना है। तब यह प्रश्न उठ रहा है कि बगैर लाइसेंस वाली दवा की दुकान को दवा की आपूर्ति कौन करता है।