नई दिल्ली। अब डिप्रेशन की दवा से जानलेवा रोग कैंसर का इलाज किया जा सकेगा। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एंटीडिप्रेसेंट दवा की ऐसी विशेषता खोजी है जो कैंसर से लड़ाई में बेहद कारगर साबित हो सकती है। यह दवा ट्यूमर को छोटा करने और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है। यह वही दवा है जो आमतौर पर डिप्रेशन और तनाव से राहत के लिए दी जाती है। इसे सिलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इनहिबिटर कहा जाता है.
कैंसर सेल्स से लडऩे में सहायक
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजिल्स (यूसीएलए) के शोधकर्ताओं ने पाया कि ये एंटीडिप्रेसेंट दवाएं दिमाग के केमिकल्स को संतुलित करती हैं और शरीर की टी कोशिकाओं को भी अधिक प्रभावशाली बनाती है। यही कोशिकाएं कैंसर सेल्स से लडऩे में सबसे अहम भूमिका निभाती हैं।
शोध में इन दवाओं को चूहों और इंसानों के ट्यूमर मॉडल्स पर टेस्ट किया गया। परीक्षण मेलेनोमा, स्तन कैंसर, प्रोस्टेट, कोलन और मूत्राशय के कैंसर पर किए गए और इनके परिणाम चौंकाने वाले मिले। एसएसआरआई दवाओं के इस्तेमाल से ट्यूमर का आकार 50 प्रतिशत तक घट गया और इम्यून सिस्टम की ताकत भी बढ़ी।
इस शोध की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. लिली यांग ने बताया कि एसएसआरआई दवाएं दशकों से सुरक्षित रूप से डिप्रेशन के इलाज में उपयोग हो रही हैं। अब अगर इन्हें कैंसर के इलाज में इस्तेमाल किया जाए, तो पहले से मौजूद विकल्प का उपयोग करना आसान होगा।
वैज्ञानिकों अब मानव मरीजों में कैंसर पर इन दवाओं के प्रभाव को परखेंगे। अगर नतीजे सकारात्मक रहे, तो यह खोज कैंसर के इलाज में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।