चंडीगढ़। फार्मा कंपनियों में बड़े पैमाने पर हो रहे दवाओं के निर्माण की जांच करने के निर्देश जारी हुए हैं। यह निर्देश पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सीबीआई को दिए हैं। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में फार्मा कंपनियों द्वारा निर्मित गोलियों को कथित तौर पर अवैध व्यापार के लिए इस्तेमाल किए जाने के लिए पकड़ा गया है।

नशीली दवा अल्प्रासेफ टैबलेट की मात्रा और पूरे बैच नंबर का पता लगाकर बरामद की गई सामग्री, जिसे पहले हिमाचल प्रदेश से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और फिर महाराष्ट्र के पालघर भेजा गया। यहां से इइ खेप को उत्तर प्रदेश के एक ऐसे स्थान पर भेजा गया, जहां ऐसी कोई फर्म मौजूद नहीं थी।

वास्तव में पंजाब राज्य में आगे वितरण के लिए दवाओं को पंचकूला के एक गोदाम में संग्रहीत किया जा रहा था। इस रैकेट में एक अंतर-राज्यीय ऑपरेशन शामिल है। इसलिए इस मामले की गहन जांच की जानी चाहिए। न्यायालय ने कहा कि प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर प्रभावशाली और प्रभावशाली लोगों की मौजूदगी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

बता दें कि यह याचिका डीएसपी वविंदर महाजन द्वारा दायर की गई। इसमें पंजाब में सबसे बड़े ड्रग सिंडिकेट को उजागर करने में अग्रणी बताया गया था। जिन्हें कथित तौर पर ड्रग्स मामले में झूठा फंसाया गया था। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि दर्ज एफआईआर में जांच के दौरान बड़ी मात्रा में अल्प्रासेफ टैबलेट (अल्प्राजोलम और ट्रामाडोल साल्ट युक्त) बरामद किए गए थे।

उन्होंने याचिका में कहा कि जांच में पता चला कि हिमाचल प्रदेश के बद्दी में स्थित कुछ दवा कंपनियों ने करीब सात महीने में 19.68 करोड़ गोलियों का उत्पादन किया। उन्हें फर्जी बिलिंग और जाली दस्तावेजों के जरिए गुप्त तरीके से नशीली दवाओं के व्यापार में लगाया गया। मामले को फरवरी 2025 तक सूचीबद्ध करते हुए पीठ ने सीबीआई को 4 महीने में प्रारंभिक जांच पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।