नई दिल्ली। सर्दी-खांसी की सामान्य दवाइयां अपना असर दिखा पाने में असफल होने लगी हैं। इस बात को लेकर डाक्टर भी हैरान हैं कि आखिर वे बेअसर क्यों हो रही हैं।
इस मामले को लेकर ब्रिटेन के डॉक्टरों ने सर्दी-खांसी की कई दवाओं को बंद करने का भी सुझाव दिया है। हालांकि वहां के दवा नियामकों ने इन दवाओं का बचाव किया है और कहा है कि फिलहाल इन दवाओं की सेफ्टी से संबंधित साक्ष्य सामने नहीं आए हैं। इस कारण इन दवाओं को फिलहाल बंद नहीं किया जा सकता है।
बता दें कि जब सर्दी लगती है और छाती में भारीपन आ जाता है तो अक्सर डॉक्टर फेनाइलफेरिन ओरल दवा लेने की सलाह देते हैं। कई नामों से ये दवा आती है लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि यह दवा मरीज पर असर नहीं दिखा रही हैं। इसी तरह नाक में डालने वाली दवा भी कारगर नहीं हो रही है। डॉक्टरों की चिंताओं को देखते हुए फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने इनमें से कुछ दवाओं को वापस कर लिया है। अब सवाल यह भी है कि आखिर ये दवाएं क्यों काम नहीं कर रही है।
ग्लोबल डायबेट्स कम्युनिटी की एक रिपोर्ट में ब्रिटेन के कार्डिफ यूनिवर्सिटी में कॉमन कोल्ड एंड कफ सेंटर के प्रोफेसर रॉन एक्लेस इसका कारण बताते हैं। उनका कहना है कि बताते हैं कि दरअसल, फेनाइलफेरिन दवा को जब मुंह से ली जाती है तो इसकी गंध नाक में पहुंचने से पहले ही यह पेट में पहुंच जाती है। वहां आंत और लिवर इसे पहले ही मेटाबोलाइज कर देता है। यही कारण है कि ये दवा बेअसर होने लगी है।
सर्दी-खांसी की कई दवाओं के साथ ऐसा ही हो रहा है। प्रोफेसर रॉन एक्लेस कहते हैं कि मेरे विचार से इन दवाओं को चलन से बाहर कर देना चाहिए। जब छाती में कनजेशन होता है तो सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। इसलिए इन दवाओं को बंद कर देना चाहिए.
प्रोफेसर रॉन ने बताया कि नाक में लेने वाली दवाइयां असरदार होती हैं और यह कुछ मिनट के अंदर असर दिखाना शुरू कर देती हैं। इसका असर लगभग 8 घंटे तक रहता है। उधर, दवा कंपनियों का कहना है कि फेनाइलफिरन दवा बंद नाक को खोल देता है क्योंकि नाक की ओर जाने वाली छोटे से ब्लड वैसल्स में यह स्वेलिंग को ठीक कर देती है। सर्दी-खांसी की ओरल दवा भी कारगर है। अगर दवा बेअसर हो रही है तो इसके लिए भी कड़े सुरक्षा मानकों पर इसे परखना होगा। मुश्किल यह है कि ये दवाइयां दुकानों में आसानी से मिल जाती हैं और जब लोगों को सर्दी-जुकाम होता है तो वे खुद इसे खरीद लेते हैं।