वैज्ञानिकों की टीम ने भारत में हिमाचल प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और पुड्डेचरी से कुल 586 नमूने लिए। उन्होंने अपना अनुसंधान म्यांमार के उन स्थलों पर केंद्रित किया जहां भूमि उपयोग में बदलाव और विकास से मनुष्यों के स्थानीय वन्यजीवों के संपर्क में आने की अधिक संभावना है। मई 2016 से अगस्त 2018 तक उन्होंने इन क्षेत्रों में चमगादड़ों की लार और मल के 750 से अधिक नमूने लिए। विशेषज्ञों का अनुमान है कि चमगादड़ों में हजारों तरह के कोरोना वायरस होते हैं। इनमें से अनेक की खोज होनी अभी बाकी है।
वैज्ञानिकों ने म्यांमार में चमगादड़ों में छह नए कोरोना विषाणुओं की खोज की है। दुनिया में यह पहली बार है जब कहीं ये विषाणु मिले हैं।
पत्रिका पीएलओएस वन में अनुसंधान की रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इससे विषाणुओं की विविधता को समझने, संक्रामक का पता लगाने, इसे रोकने और इसका इलाज ढूंढ़ने में मदद मिलेगी। स्मिथसोनियंस नेशनल जू और अमेरिका स्थित कंजर्वेशन बॉयलॉजी इंस्टिट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं का यह अनुसंधान समूची प्रजातियों में प्रसार की संभावना के मूल्यांकन में सहायता करेगा।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि खोजे गए नए कोरोना वायरस सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स कोव-1), मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (एमईआरएस) और सार्स-कोव-2 संबंधित कोरोना विषाणुओं के करीबी संबंधी नहीं हैं। स्मिथसोनियंस ग्लोबल हेल्थ प्रोग्राम से जुड़े पूर्व वन्यजीव चिकित्सक एवं अनुसंधान रिपोर्ट के अग्रणी लेखकर मार्क वैलिटुटो ने कहा कि विषाणुजनित महामारी हमें याद दिलाती है कि मानव स्वास्थ्य कितना करीब से वन्यजीव स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़ा है। अनुसंधानकर्ताओं को नए विषाणुओं के बारे में तब पता चला जब वे बीमारी की परिस्थितियों को बेहतर ढंग से समझने के लिए मानव और जानवरों से संबंधित निगरानी कार्य कर रहे थे।
वैज्ञानिकों की टीम ने भारत में हिमाचल प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और पुड्डेचरी से कुल 586 नमूने लिए। उन्होंने अपना अनुसंधान म्यांमार के उन स्थलों पर केंद्रित किया जहां भूमि उपयोग में बदलाव और विकास से मनुष्यों के स्थानीय वन्यजीवों के संपर्क में आने की अधिक संभावना है। मई 2016 से अगस्त 2018 तक उन्होंने इन क्षेत्रों में चमगादड़ों की लार और मल के 750 से अधिक नमूने लिए। विशेषज्ञों का अनुमान है कि चमगादड़ों में हजारों तरह के कोरोना वायरस होते हैं। इनमें से अनेक की खोज होनी अभी बाकी है।