कोरोना से संक्रमित रोगियों के लिए वायु प्रदूषण ज्यादा घातक हो सकता है। वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर काम कर रहे डाक्टरों के एक समूह ने यह चेतावनी दी है। ऐसे रोगियों को प्रदूषित हवा से बचने की सलाह दी है।
डाक्टर्स फॉर क्लीन एयर (डीएफसीए) ने यह चेतावनी जारी की है।
चेतावनी में कहा गया है कि उच्च वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में कोरोना वायरस के प्रभावों की अधिक संवेदनशीलता हो सकती है क्योंकि उनके फेफड़े वायु प्रदूषण के चलते कमज़ोर होते हैं। डीएफसीए ने चेतावनी दी है कि वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों के कार्य में समझौता होने से कोविड-19 महामारी से प्रभावित रोगियों में गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं। इसमें कहा गया है कि लंबी अवधि में वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से अंगों के पूरी तरह से कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है।
ऐसे रोगी आसानी से वायरस संक्रमण और अन्य बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। वर्तमान में कोविड-19 की महामारी के संदर्भ में ऐसे व्यक्तियों को गंभीर जटिलताओं का सामना करने की आशंका है। डीएफसीए ने कहा कि सार्स जैसे कोरोनोवायरस के पूर्ववर्ती संक्रमण के दौरान भी यह बात देखी गई थी कि वायु प्रदूषण का उच्च स्तर अधिक मौतों का कारण बनता है। संगठन ने प्रदूषित क्षेत्रों में रह रहे लोगों के फेफड़े कमज़ोर होने के कारण उनसे अतिरिक्त सावधान रहने को कहा है। साथ ही सरकार से अनुरोध किया है कि प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभावों को कम करने के लिए कदम उठाएं।