कोरोना सिर्फ फेफड़े का संक्रमण ही नहीं , बल्कि लोगों के दिलो-दिमाग पर बुरा असर डाल रहा है। लोग मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं। उलझन और घबराहट की चपेट में आ रहे हैं। मानसिक बीमारी पैनिक डिसआर्डर के मरीजों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। उन पर पुरानी दवाएं बेअसर साबित हो रही हैं। बुजुर्गों में भी बेचैनी बढ़ गई है।

लोहिया संस्थान के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. देवाशीष शुक्ला के मुताबिक कोरोना वायरस को लेकर चारों तरफ तमाम तरह की बातें हो रही हैं। घर से लेकर समाचार चैनल और बाहर भी कोरोना को लेकर चर्चा हो रही है। वायरस से बचने के लिए मास्क लगाकर निकल रहे हैं। सुरक्षा जरूरी है। पर, घबराने की जरूरत नहीं है। हर वक्त एक ही बात मन में भी लाने की भी आवश्यकता नहीं है। इससे मन में डर पनप रहा है।

काम नहीं कर रहीं पुरानी दवाएं
डॉ. देवाशीष के मुताबिक पैनिक डिसआर्डर में मरीज को भय महसूस होता है। ऐसे मरीजों की समस्या बढ़ गई है। घबराहट, उलझन, बेचैनी समेत दूसरे लक्षणों में इजाफा देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि काफी मरीजों में पुरानी दवाएं ठीक से काम नहीं कर रही हैं। दवाएं बदलनी पड़ रही हैं या फिर उनकी मात्रा बढ़ानी पड़ रही है।