DCGI: ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के ड्रग्स कंट्रोलर डॉ राजीव सिंह रघुवंशी ने हाल ही में देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ड्रग कंट्रोलर्स और फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के नाम एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने निर्देश दिया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि फार्मासिस्ट रिटेल मेडिकल स्टोर्स में शारीरिक रूप से मौजूद हैं कि नहीं। खुदरा मेडिकल स्टोरों में फार्मासिस्टों की सीधी रेखदेख में ही दवाएं बेची जायें।
अधिनियम की धारा 42 (ए) और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम के नियम 65 को लागू करने की मांग: DCGI
डीसीजीआई डॉ राजीव सिंह रघुवंशी ने एक पत्र में खुदरा फार्मेसी में फार्मेसी अधिनियम की धारा 42 (ए) और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम के नियम 65 को सख्ती से लागू करने की मांग की है। डीसीजीआई की ओर से ये निर्देश इसलिए दिए हैं कि क्योंकि हाल ही में देश के कई राज्यों से ये सामने आया है कि फर्जी फार्मासिस्ट की डिग्री लेकर लोग दवाओं की दुकानें चला रहे हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, तेलंगाना आदि जैसे राज्यों में 15 हजार से 70 हजार रुपए देकर लोग फार्मासिस्ट की नकली डिग्री खरीद रहे हैं।
पंजीकृत फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति में खुदरा स्टोर दवाओं का वितरण नहीं
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के अनुसार, पंजीकृत फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति में खुदरा स्टोर दवाओं का वितरण नहीं कर सकते हैं। एक पंजीकृत फार्मासिस्ट के लिए किसी अन्य व्यक्ति को अपना पंजीकरण देना अत्यधिक अनैतिक है। वह एक समय में केवल एक ही स्थान पर कार्य कर सकता है।
लेकिन देश के कई राज्यों की हकीकत तो यह है कि गैर-फार्मासिस्ट फार्मासिस्ट के किराए के प्रमाण पत्र से मेडिकल शॉप संचालित कर रहे हैं। इस परिदृश्य को बदलना चाहिए क्योंकि भारत में भी फार्मेसी अभ्यास का ध्यान धीरे-धीरे उत्पाद केंद्रित से रोगी केंद्रित हो रहा है।
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फिलहाल राज्य के औषधि नियंत्रण विभागों के औषधि निरीक्षक खुदरा दुकानों पर इस तरह का निरीक्षण कर रहे हैं. लेकिन राज्य दवा नियंत्रण विभागों में जनशक्ति की कमी के बारहमासी मुद्दे के कारण, दवा निरीक्षकों द्वारा विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में फार्मेसी आउटलेट्स का निरीक्षण बहुत कम किया गया है।