रोहतक। पूरे देश में जानलेवा कोरोना वायरस का कहर जारी है। इसी बीच अपनी अधूरी मांगों को लेकर हरियाणा में डॉक्टर आज से हड़ताल पर है। चिकित्सकों की नाराजगी का खामियाजा अब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। अधिकतर मरीजों को वापस तक लौटना पड़ा। हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में मंगलवार को ओपीडी बंद कर दी है। बुधवार-गुरुवार को ओपीडी सेवाएं बहाल रहेंगी। इन दो दिनों में मांगें नहीं मानी तो चिकित्सक 14 जनवरी शुक्रवार को इमरजेंसी सेवाएं बंद कर पूर्ण हड़ताल पर चले जाएंगे। एक तरफ से महामारी कोरोना वायरस का कहर जारी है। वहीं डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य सेवाएं भी काफी असर पड़ेगा। सरकारी ओपीडी बंद होने से मरीजों को काफी परेशानियों से जुझना पड़ेगा।

हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के आह्वान पर सभी जिलों में सरकारी चिकित्सक आज हड़ताल पर हैं। पोस्टमार्टम सहित अन्य इमरजेंसी सेवाएं चालू हैं, वहीं ओपीडी बंद होने से मरीज परेशान हैं। रोहतक के सामान्य अस्पताल समेत महम, सांपला और कलानौर में भी यही स्थिति बनी हुई है। मंगलवार को हड़ताल की वजह से भले ही ओपीडी नहीं चली, लेकिन  हड़ताल के दौरान भी बीमार बच्चों का डॉक्टरों ने इलाज किया। चिकित्सकों ने आमजन से भी इस आंदोलन में सहयोग मांगा है। इसे लेकर अस्पतालों में पोस्टर चस्पा कर दिए गए हैं और आमजन से हड़ताल में सरकारी चिकित्सकों का सहयोग देने की अपील की गई है। चिकित्सकों ने बताया कि ओपीडी सेवाएं सीएचसी से लेकर पीएचसी तक बंद रहेगी। सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक आपातकालीन सेवाएं जारी रखेंगे। सरकार की तरफ से उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया तो आगामी 14 जनवरी से हर स्वास्थ्य सेवाओं को चिकित्सक की तरफ से बंद कर दिया जायेगा। जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।

दरअसल, चिकित्सकों की मांग है कि राज्य में स्पेशलिस्ट कैडर, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों (एसएमओ) की सीधी भर्ती पर रोक लगाई जाए तथा पीजी पालिसी बंद की जाए। चिकित्सकों ने बताया कि सरकार ने स्वास्थ्य विभाग ने एसएमओ की सीधी भर्ती की है। जिसका चिकित्सक विरोध करते हैं और सभी चिकित्सकों में सरकार खिलाफ रोष है। उन्होंने बताया कि इस भर्ती प्रक्रिया को चिकित्सकों ने 2015 में विरोध किया था और सरकार ने भर्ती को रोकने का आश्वासन दिया था। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है और चिकित्सकों की पदोन्नति भी रुकी हुई है।

दरअसल काफी दिनों से इन मांगों को लेकर सरकार से मांग की जा रही हे, लेकिन सरकार उनकी मांगों पर कोई विचार नहीं कर रही है। सरकार की अनदेखी के विरोध में पूर्व घोषणा के अनुसार डाक्टरों ने मंगलवार को हड़ताल कर दी। डाक्टरों ने यहां तक चेतावनी दे रखी है कि यदि उनकी मांग पर विचार नहीं किया गया तो 14 जनवरी को वह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।

हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (एचसीएमएसए) ने यह फैसला लिया है। वित्त विभाग के एसीएस टीवीएसएन प्रसाद को बुखार होने के चलते सोमवार को लंबित मांगों पर बैठक नहीं हो पाई। ओपीडी बंद करने के एलान के बाद सरकार के आला अधिकारी भी चिकित्सकों को मनाने में जुटे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान में अपनी जान का जोखिम उठाकर भी मरीजों को लगातार स्वास्थ्य लाभ पहुंचाते रहे हैं। इसके बावजूद इस वर्ग की अनदेखी की जा रही है। यह अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

डाक्टरों की हड़ताल की वजह से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। डाक्टरों ने चेतावनी दी है कि यदि 12 जनवरी तक उनकी मांगों पर सरकार ने कोई विचार नहीं किया तो वे 14 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इस दौरान ओपीडी, इमरजेंसी सेवाओं को पूरी तरह से बंद रखा जाएगा। यहां तक की मृतकों का पोस्टमार्टम भी नहीं किए जाने की बात भी डाक्टरों ने कही है।