नई दिल्ली। सफेद दाग से बहुत से लोग परेशान होते हैं। इसकी एक शानदार दवा भारत में मौजूद है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है। इस दवा का नाम है ल्यूकोस्किन। इस दवा से अब तक एक लाख से अधिक मरीजों का सफल इलाज हो चुका है। उपचार की सफलता का दर 70 फीसदी से ज्यादा दर्ज किया गया है।
ल्यूकोस्किन को बाजार में एमिल हेल्थकेयर एंड रिसर्च सेंटर (एएचआरसी) लेकर आई है। इसकी प्रमुख डॉ. नीतिका कोहली ने कहा कि ल्यूकोस्किन की तकनीक डीआरडीओ से हासिल करने के बाद मरीजों पर उसके परीक्षण किए गए। फिर साल 2011 में इसे बाजार में उतारा गया था। वह खुद भी बतौर डॉक्टर ल्यूकोस्किन से मरीजों का उपचार कर रही हैं। इन 10 सालों में एक लाख से अधिक मरीजों का उपचार किया गया है. यदि कुल सफलता दर देखें तो 70 फीसदी से अधिक रही है।
बुधवार को दिल्ली एक होटल में डॉक्टर्स कान्फ्रेंस के दौरान गंभीर त्वचा रोग के चिकित्सीय निदान पर विशेषज्ञों ने आपस में यह जानकारी साझा की। इस दौरान डॉक्टरों ने कहा कि आयुर्वेद में चतुष्पाद डॉक्टर, मरीज, औषध और तीमारदार की बात कही गई है। दवा अच्छी हो लेकिन डॉक्टर उसकी सही खुराक निर्धारित न कर पाए तो भी उपचार प्रभावित होता है। इसी प्रकार मरीज का डॉक्टर और दवा में विश्वास भी अहम है. मरीज की देखभाल करने वाले लोगों की भी भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
रिसर्च सेंटर के 10 साल पूरे होने के साथ ही ल्यूकोस्किन के भी 10 साल पूरे हो चुके हैं। इस मौके पर डॉक्टर्स कॉन्फ्रेंस किया गया था। इसमें कई जाने-माने आयुर्वेद एवं आधुनिक चिकित्सा पैथियों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। उन्होंने सफेद दाग के उपचार में ल्यूकोस्किन की प्रभावकारिता पर प्रकाश डाला। इस दौरान डॉ. सुरेश चौधरी, डॉ. प्रभाकर राव, डॉ. भगवान सहाय, डॉ. रघुराम और डॉ. दीपाली भारद्वाज सहित देश भर के विशेषज्ञों ने त्वचा रोग को लेकर अहम जानकारियां साझा कीं।